Almora News:टपकती छत के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं स्कूली बच्चे, 212 स्कूलों का हाल बेहाल

ख़बर शेयर करें -

भारी बारिश के बीच हवालबाग ब्लाक के अंतर्गत जीआईसी कमलेश्वर के विद्यार्थी टपकती छत और जर्जर दीवारों के बीच जान जोखिम में डालकर पढ़ने के लिए मजबूर हैं। हालात ये हैं कि विद्यालय भवन गिरने का खतरा है और अभिभावक अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए उन्हें स्कूल भेजने से परहेज करने लगे हैं।

🔹विद्यालय भवन के नवनिर्माण के प्रयास नहीं किए जा रहे 

वर्ष 1960 में जीआईसी कमलेश्वर की स्थापना की गई। हैरानी की बात यह है कि 63 साल बाद भी नया विद्यालय भवन नहीं बन सका और यह पुराने भवन में संचालित हो रहा है। सालों पुराने भवन की हालत बेहद खराब है। छत के टिन सड़-गल गए हैं तो दीवारों पर दरारें पड़ने से इनके गिरने का खतरा बना हुआ है। जर्जर छत से बारिश में पानी कक्षों में घुस रहा है। ऐसे में यहां 200 विद्यार्थी खतरे के बीच सुनहरे भविष्य के सपने देखने को मजबूर हैं। बावजूद इसके विभाग की तरफ से उनकी सुरक्षा को पूरी तरह अनदेखा किया गया है। अब तक न तो स्कूल सुधारीकरण के प्रयास हुए और ना ही नवनिर्माण के। वहीं बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए अभिभावक उन्हें स्कूल नहीं भेज रहे, जिससे उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है।

यह भी पढ़ें 👉  Almora News:उत्तराखंड सरकार में शिक्षा एवं स्वास्थ्य मंत्री अल्मोड़ा जिले के प्रभारी डॉक्टर धन सिंह रावत ने चिकित्सा व शिक्षा विभाग मे जिले में अपने प्रतिनिधि के रूप में अल्मोड़ा निवासी जगदीश नगरकोटी को किया नियुक्त

🔹ध्वस्तीकरण की प्रस्ताव शासन में फांक रहा है धूल

शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक विद्यार्थियों की सुरक्षा के लिए विद्यालय भवन का ध्वस्तीकरण कर इसका नवनिर्माण एकमात्र विकल्प है। इसके लिए इन 63 सालों में 50 से अधिक बार प्रस्ताव शासन में भेजा गया जो सरकारी फाइलों में धूल फांक रहा है। 

यह भी पढ़ें 👉  Weather Update:उत्तराखंड में मौसम विभाग ने इन पांच जिले में भारी बारिश की चेतावनी की जारी

🔹तीन साल से प्रधानाचार्य का पद रिक्त

जीआईसी कमलेश्वर में शिक्षकों की कमी से विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। हिंदी पढ़ाने के लिए प्रवक्ता नहीं है। वहीं तीन साल से प्रधानाचार्य का पद रिक्त है, जिससे विद्यालय की व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं। 

प्रकाश सिंह जंगपांगी, खंड शिक्षाधिकारी ने कहा विद्यालय भवन के ध्वस्तीकरण का प्रस्ताव भेजा गया है। स्वीकृति मिलते ही इसे ध्वस्त कर नया भवन बनाया जाएगा।