Uttrakhand News :अब उत्तराखंड की लोक भाषाएं सरकारी स्कूलों के पाठ्यक्रम में होंगी शामिल,पहले चरण में कक्षा एक से पांचवीं तक के लिए पाठ्य पुस्तकें की जा रही हैं तैयार

0
ख़बर शेयर करें -

उत्तराखंड की लोक भाषाएं गढ़वाली कुमाऊनी, जौनसारी एवं रं पाठ्यक्रम का हिस्सा होंगी। एससीईआरटी की ओर से पहले चरण में गढ़वाली, कुमाऊनी, जौनसारी एवं रंग से संबंधित पाठ्य पुस्तकें तैयार की जा रही हैं।

💠इसके बाद अन्य लोक भाषाओं को भी चरणबद्ध तरीके से इसमें शामिल किया जाएगा।

अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण निदेशालय में आयोजित पांच दिवसीय कार्यशाला के अंतिम दिन निदेशक वंदना गर्ब्याल ने कहा, उत्तराखंड की लोक भाषाएं यहां की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत बुनियादी स्तर पर बच्चों को मातृभाषा के माध्यम से सीखने को कहा गया है। पहले चरण में कक्षा एक से पांचवीं तक के लिए पाठ्य पुस्तकें तैयार की जा रही है।

अपर निदेशक एससीईआरटी अजय कुमार नौडियाल बताते हैं कि लोक भाषाओं की पाठ्य पुस्तकों के माध्यम से बच्चों को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने का अवसर मिलेगा, उनकी साहित्यिक प्रतिभा का भी विकास होगा। उन्होंने लोक भाषाओं की विलुप्त के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए कहा, यह पुस्तकें बच्चों को अपनी लोक भाषाओं से जोड़ने में सहायक होंगी। संयुक्त निदेशक आशा रानी पैन्यूली ने कहा, लोक भाषा आधारित पाठ्य पुस्तकों के पाठ्यक्रम का हिस्सा होने से बच्चों में सांस्कृतिक संवेदनशीलता का विकास होगा, उनमें मातृभाषा में विचारों को व्यक्त करने की स्पष्ट आएगी।

यह भी पढ़ें 👉  Almora News:अल्मोड़ा जनपद में नवागत अपर जिलाधिकारी युक्ता मिश्रा ने गत दिवस अपना कार्यभार किया गृहण

💠बच्चों में मातृभाषा लेखन के प्रति उत्साह बढ़ाने का प्रयास

सहायक निदेशक डॉ. कृष्णानंद बिजल्वाण ने पुस्तक की पठन सामग्री आकर्षक और रुचिकर बनाने पर जोर दिया। डा. नंदकिशोर हटवाल ने कहा, पुस्तकें बाल मनोविज्ञान के अनुरूप लिखी जानी चाहिए। कार्यशाला के समन्वयक डॉ शक्ति प्रसाद सिमल्टी एवं सह समन्वयक सोहन सिंह नेगी ने बताया कि इन पाठ्य पुस्तकों के माध्यम से बच्चों में मातृभाषा लेखन के प्रति उत्साह बढ़ेगा। कार्यशाला में गढ़वाली भाषा में विशेषज्ञ के रूप में डॉ.उमेश चमोला, कुमाऊनी के लिए डॉ.दीपक मेहता, जौनसारी के लिए सुरेंद्र आर्यन, रं के लिए आभा फकलियाल ने योगदान दिया।

यह भी पढ़ें 👉  Almora News:स्वास्थ्य विभाग मिला अपना पहला फारेंसिक एक्सपर्ट,पूरे कुमाऊं को मिलेगा लाभ

कक्षावार पुस्तकों के लेखन के लिए समन्वयक के रूप में डॉ अवनीश उनियाल ,सुनील भट्ट , गोपाल घुघत्याल, डॉक्टर आलोक प्रभा पांडे और सोहन सिंह नेगी ने कार्य किया। गढ़वाली भाषा के लेखक मंडल में डॉ उमेश चमोला ,गिरीश सुंदरियाल ,धर्मेंद्र नेगी , संगीता पंवार और सीमा शर्मा ने और कुमाऊनी भाषा के लेखक मंडल में गोपाल सिंह गैड़ा, रजनी रावत, डॉक्टर दीपक मेहता, डॉ आलोक प्रभा एवं बलवंत सिंह नेगी शामिल हैं। जबकि जौनसारी भाषा लेखन मंडल में महावीर सिंह कलेटा ,हेमलता नौटियाल ,मंगल राम चिलवान ,चतर सिंह चौहान एवं दिनेश रावत ने योगदान दिया। रं भाषा में लेखन के लिए आशा दरियाल,श्वेता ह्यांकी, रजनी पच्याल और आभा फकलियाल ने कार्य किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *