Almora News:इलाज के लिए भटकती रही गर्भवती, घंटे बाद यहां अस्पताल में हुई भर्ती
पहाड़ बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था की कीमत मरीजों को चुकानी पड़ रही है। स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के दावों के बीच देघाट की एक गर्भवती महिला भिकियासैंण से रानीखेत तक के अस्पतालों में भटकती रही। परिवार वाले इलाज के लिए गुहार लगाते रहे, लेकिन कहीं मदद नहीं मिली।
पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाओं का न होने का हवाला देकर आखिर में सुशीला तिवारी अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। जब परिवार अपने निजी वाहन से लेकर आ रहा था तो ज्योलीकोट के पास सामान्य प्रसव हो गया। बाद में जच्चा-बच्चा को सुशीला तिवारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
देघाट के भनेरिया की रहने वाले महेंद्र ने बताया कि वह 23 दिसंबर को देघाट के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पत्नी बसंती (26) को इलाज के लिए लेकर पहुंचे थे। वहां के चिकित्सा कर्मियों ने बताया कि जब लेबर पेन होने पर सीधे भिकियासैंण स्थित सीएचसी ले जाना। बुधवार को जब पत्नी को दर्द शुरू हुआ तो वे घर से करीब 35 किमी दूर भिकियासैंण सीएचसी लेकर पहुंचे। यहां के चिकित्सा कर्मियों ने कहा कि विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं हैं।
उन्हें करीब 60 किमी दूर रानीखेत के गोविंद सिंह माहरा राजकीय चिकित्सालय भेज दिया। वे ढाई बजे तक रानीखेत के अस्पताल में पहुंचे। वहां के चिकित्सा कर्मियों ने बताया कि बच्चा पेट में टेढ़ा हो गया है। यहां के ऑपरेशन थिएटर में तकनीकी समस्या है। ब्लड बैंक भी दूर है। ऐसे में आप सुशीला तिवारी अस्पताल ले जाओ। उस वक्त पत्नी की हालत बेहद खराब हो गई थी, दर्द भी काफी था। चलना मुश्किल हो रहा था। उनसे भर्ती करने की बहुत गुजारिश की, लेकिन, कोई सुनवाई नहीं हुई। पौने चार बजे तक अस्पताल में रहे, शायद भर्ती कर लिया जाए।
आखिरकार अपने निजी वाहन से सुशीला तिवारी अस्पताल के लिए चले। छह बजे के आसपास ज्योलीकोट में दर्द बढ़ा तो वाहन को रोका। साथ में उनकी चाची भी थीं, उन्होंने कार में ही प्रसव करा दिया। इसके बाद सुशीला तिवारी अस्पताल पहुंचकर दोनों को भर्ती कराया। घंटों इलाज के लिए भटके, इस अव्यवस्था को लेकर वह आगे शिकायत भी करेंगे। बताया कि अस्पताल में जच्चा-बच्चा दोनों ठीक हैं।
जच्चा-बच्चा अस्पताल में पहुंचे हैं, उनकी हालत ठीक है। चिकित्सा कर्मियों की टीम उनके स्वास्थ्य पर नजर रख रही है।
-डॉ. अरुण जोशी, प्राचार्य, मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी