भूकंप आने से पहले ही मिल जाएगा अलर्ट, IIT रुड़की में बने मोबाइल एप में ये हैं खासयित

हाल में तुर्की सीरिया में आए भूकंप ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया।लाखों लोग इस भूकंप से प्रभावित हुए हजारों ने अपनी जान गंवा दी।
भूकंप से आई ये त्रासदी कई वर्षों तक याद रखी जाएगी। भूकंप भले ही तुर्की सीरिया में आया हो, लेकिन इसक झटके लगातार देश दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में महसूस किए जा रहे हैं. ऐसे में हर कोई सोचता है कि अगर भूकंप के आने से पहले ही सही समय पर इसकी जानकारी मिल जाए तो होने वाले नुकसान से खुद को बचाया जा सकता है. भारतीय वैज्ञानिकों ने ऐसी ही एक तकनीक विकसित की है जो भूकंप आने से पहले ही इसकी जानकारी आपको मोबाइल पर दे देगी. ऐसे में समय रहते आप जरूरी कदम उठा सकते हैं।आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला
IIT के वैज्ञानिकों का कमाल
आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जो आपको भूकंप के आने से पहले ही अलर्ट कर देगी।ये अलर्ट आपको अपने मोबाइल पर आएगा ताकि समय रहते आप सही फैसला ले सकें। हालांकि ये अलर्ट महज 45 सेकंड पहले आएगा. जानकारों की मानें तो जान बचाने के लिए 45 सेकंड का अलर्ट काफी होता है। किसी भी भवन से बाहर निकला जा सकता है।
ये तकनीक सेस्मिक सेंसर तकनीक पर बेस्ड है. बीते चार महीनों में तीन बार इस सिस्टम की टेस्टिंग की गई है हर बार ये सिस्टम सफल रहा है।यानी इस तकनीक के जरिए बहुत बड़े नुकसान को टाला जा सकता है।
भारतीय परिस्थितियों के हिसाब से तैयार सिस्टम
आईआईटी वैज्ञानिकों ने अर्थक्वेक वार्निंग सिस्टम को भारतीय परस्थितियों के मुताबिक डेवलप किया है।खास बात यह है कि, ये सिस्टम पहाड़ी राज्यों खास तौर पर उत्तराखंड के लोगों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।क्योंकि आए दिन पहाड़ों पर भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं कुछ इलाकों को डेंजर जोन में भी रखा गया है।
मिली जानकारी के मुताबिक, इस सिस्टम का असर उत्तराखंड से लेकर नेपाल सीमा तक होगा।इसके रेंज के लिए करीब 170 सेंसर लगाए गए हैं।बीते वर्ष नवंबर से अब तक इस सिस्टम के जरिए तीन बार टेस्टिंग की गई है हर बार इस सिस्टम की सफल टेस्टिंग हुई यानी इससे मिले नतीजे पूरी तरह सही साबित हुए हैं। इस सिस्टम ने पौन मिनट पहले ही भूकंप के झटकों की सही जानकारी दे दी है।
कैसे काम करता है ये अर्ली वार्निंग सिस्टम
दरअसल ये अर्ली वार्निंग सिस्टम से पहले जिन इलाकों में ज्यादा भूकंप आने का खतरा बना रहता है वहां पर कई सेंसर लगाए जाते हैं. इन सेंसर का डाटा सेंट्रल सर्वर में रिकॉर्ड होता है. इसके बाद इन डाटा को एनालिस कर इमिडिएट एक अलर्ट जारी किया जाता है। इस अलर्ट के डाटा को सेस्मिक सेंसर से सेस्मिक डाटा में रिकॉर्ड किया जाता है इसके बाद एक अर्ली वार्निंग अलर्ट भेजा जाता है।ये अलर्ट एक ऐप से जुड़ा हुआ है। ऐसे वार्निंग ऐप के जरिए सीधे मोबाइल पर आ जाती है।
रिपोर्टर – रोशनी बिष्ट










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