सलाम है इस मात्रशक्ति को जिन्होंने अपने कठिन परिश्रम का परिचय दिया है चलिये जानते हैं क्या किया इन्होंने
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में आज सिचाई की एक बड़ी समस्या है खेत तो है पर उनको सिंचाई के लिये नहरें व गुल नहीँ है आइये अपने खेती के लिए कैसे संघर्ष कर रहे हैं लोग देखिये
अल्मोड़ा -भैसियाछाना बिकास खंड के तली रीठागाड क्षेत्र मंगलता का उजाऊ शेरा तो है
पर सिंचाई के वैगर बंजर ही है जिसको लेकर यहाँ की मात्र शक्ति महिला संगठन ने जैंगन नदी में बांध बनाने की ठान ली हैं
ग्रामीण महिलाओं ने अब इसके लिये स्वयं के प्रयास सर गुल बनाना शुरू कर दिया है देखिये पूरे गाँव की महिलाओं ने जैगन नदी में इसके लिये काम भी शुरू दिया है अब उन्होंने प्रण कर लिया है कि वो मंगलता सेरा में पानी पहुंचा के रहेंगी
ग्रामीण महिलाओं द्वारा मंगलता सेरा के बंजर खेतों को हराभरा करने के लिए दर्जनों महिला नदी में काम पर जुट गई है लगभग आधे दर्जन गांवों मंगलता, डुगरालेख, जालि खेत, गोडवी गांव की मात्र शक्ति ने मंगलता सेरा में पानी पहुंचाने के लिए कड़ी मेहनत की जा रही है इस मात्र शक्ति की एकता व जागरूकता को सलाम है पिछले कई दिनों से सोसल मीडिया में इनके फ़ोटो वीडियो वायरल हो रहे हैं
हमारी पर्वतीय क्षेत्र की महिलाएं को कौन नही जानता है उनका कठिन परिश्रम एक मिशाल है आज वही मातृशक्ति ने इसको मंगलता सेरा की उपजाऊ भूमि के लिये किया जा रहा है
लगभग डेढ़ किलोमीटर लम्बी इस गूल को मात्र शक्ति के द्बारा बनाये जाने से मंगलता , डुगरालेख, गोंडवी के 100 परिवारो। को इसका लाभ मिलेगा
प्रताप सिंह नेगी रीठागाडी दगड़ियों संघर्ष समिति के अध्यक्ष ने बताया ये सिर्फ मंगलता सेरा की समस्या नहीं है।
रीठागाड क्षेत्र में और भी ऐसे बहुत से गांवों है जहाँ लोगों की ज़मीन पानी की गूल के बैगर बंजर पड़ी है।उन्होंने कहा कि मंगलता की महिला समूह की मात्र शक्ति ने अपनी खेती को बंजर खेतों को उपजाऊ बनाने का जो संकल्प लिया है। उससे सभी मातृ शक्ति को सीख मिलेगी और ये एक बड़ा सन्देश हमारी सरकार और हमारे आम जनमानस के लिये होगा