उत्तराखंड पटवारी भर्ती की मांगी गई आर.टी.आई.सूचना देने से इन्कार

ख़बर शेयर करें -

हल्द्वानी – पटवारी भर्ती हेतु 12 फरवरी को दोबारा हुई परीक्षा के प्रश्नपत्र तैयार करने की प्रक्रिया से सम्बन्धित पत्राचार एवं पत्रावली में अंकित टिप्पणियों की सूचना मांगने हेतु लगाई गयी आर.टी.आई.के जवाब में लोक सेवा आयोग के स्तर से विषय विशेषज्ञों के जीवन की सुरक्षा के कारणों को दृष्टिगत रखते हुए आर.टी.आई. एक्ट की धारा 8(1) (छ ) के तहत सूचना देने से इन्कार कर दिया है ।

 

 

 

 

सूचना नहीं देने के पीछे दिये गये कारणों से असहमत होकर हल्द्वानी स्थित बिठौरिया-1 देवकीबिहार निवासी रमेश चंद्र पाण्डे ने लोकसूचना आयोग के सचिव को द्वितीय अपील भेजकर जनहित में उक्त सूचना उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है ।

 

 

 

 

 

सचिव, लोक सूचना आयोग को प्रेषित अपील में रमेश चंद्र पाण्डे ने कहा है कि उनके द्वारा लोक सेवा आयोग के लोक सूचना अधिकारी को 11 मार्च 2023 को पत्र भेजकर आरटीआई के तहत तीन बिन्दुओं पर सूचना मांगी थी । बिन्दु संख्या 2 की सूचना तो दी गई लेकिन बिन्दुवार संख्या- 1 एवं 3 की सूचना के बारे में कहा गया कि आरटीआई एक्ट की धारा 8(1)(छ) मे निहित प्राविधान ” सूचना जिसका प्रकट करना किसी व्यक्ति के जीीन या शारीरिक सुरक्षा को खतरे में डालेगा या जो विधि प्रवर्तन या सुरक्षा प्रयोजनों के लिए विश्वास में दी गई सूचना या सहायता के स्रोत की पहचान करेगा “, के आलोक में यह सूचना दी जानी सम्भव नहीं है ।

 

 

 

 

 

इसके विरुध्द 25 अप्रैल को प्रथम अपीलीय अधिकारी को अपील भेजे जाने पर 12 मई को सुनवाई हुई जिसमें अपीलीय अधिकारी ने सूचना नहीं दिये जाने के कारणों से सूचित करने के निर्देश देते हुए सुनवाई के लिए 25 मई की तिथि तय की । जिस पर ये कारण बताए –

 

 

 

 

 

बिन्दु -1- पटवारी/ लेखपाल की भर्ती हेतु 12 फरवरी को दोबारा हुई परीक्षा के लिए प्रश्न पत्र तैयाकराये जाने की पूरी प्रक्रिया से सम्बन्धित पत्राचार एवं पत्रावली में अंकित टिप्पणियों की सत्यप्रतिलिपि के सम्बन्ध में अवगत कराया गया कि उक्त पत्रावली में विषय विशेषज्ञों के साथ किये गये पत्राचार एवं टिप्पणियों में उनके नाम,पते एवं मोबाइल नम्बर अंकित किये गये हैं ।

 

 

 

 

बिन्दु – 3- पटवारी/लेखपाल की भर्ती हेतु लीक हुए प्रश्नांश बैंक के प्रश्नों की सत्यापित प्रतिलिपि के सम्बन्ध मे सूचना न देने का कारण बताया कि प्रश्नांश बैंक पुलिस अभिरक्षा में सील हैं एवं बर्तमान में उक्त प्रकरण पर एस आई टी जांच भी प्रचलित है । उक्त के अतिरिक्त प्रश्नांशों में विषय विशेषज्ञों के नाम, पते एवं मोबाइल नम्बर भी अंकित होते हैं ।

 

 

 

 

लोक सूचना अधिकारी द्वारा सूचना नहीं देने के बारे मे उक्त कारणों से अवगत करा दिये जाने पर प्रथम अपीलीय अधिकारी ने लोकसूचना अधिकारी के अभिमत से सहमत होते हुए 25 मई को अपील को अन्तिम रुप से निस्तारित कर दिया ।

 

 

 

 

सचिव , लोक सूचना आयोग को प्रेषित द्वितीय अपील मे श्री पाण्डे ने उक्त कारणों का खण्डन करते हुए कहा है कि नियमानुसार कोई भी अन्वेषण असंज्ञेय अपराध के सन्दर्भ में अधिकतम 60 दिन और संज्ञेय अपराध के सन्दर्भ में अधिकतम 90 दिन तक ही किया जा सकता है और इसी अवधि के भीतर आरोप पत्र न्यायालय में आवश्यक रुप से दाखिल करना होता है । ऐसी स्थिति में निर्धारित अवधि व्यतीत हो जाने के बाद सूचना उपलब्ध कराने हेतु आरटीआई की उक्त धारा का तर्क नहीं दिया जा सकता है ।

 

 

 

 

अपील में कहा गया है कि लोक सेवा आयोग एक संवैधानिक संस्था है । आयोग के संवैधानिक दायित्व भारत का संविधान , सम्बन्धित अधिनियम तथा उपनियमों से विनियमित होते हैं । इन प्राविधान का निहित उद्देश्य पारदर्शी परीक्षा प्रणाली अपनाते हुए भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था सुनिश्चित करना है ।

 

 

 

 

परीक्षा सम्पादित हो जाने के बाद लोक सूचना अधिकार अधिनियम 2005 की मूल भावना के दृष्टिगत सूचना के प्रकटन से बचने का प्रयास भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने जैसा माना जायेगा जो जनहित के अनुरुप नहीं है ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *