नेपाल ने भारत के साथ सीमा रेखा के बीच लिपुलेख, कालापानी, लिंपियाधुरा को फिर से बताया अपना,बॉर्डर पर बढ़ सकता है तनाव

ख़बर शेयर करें -

भारत के लिपुलेख समेत कालापानी और लिंपियाधुरा को नेपाल का अभिन्न हिस्सा बताकर पूर्व राष्ट्रपति विद्यादेवी भंडारी ने एक बार फिर बुझी चिंगारी को हवा दे दी है। इसके पहले नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री ओपी शर्मा कोली भी यही हरकत कर चुके हैं, जिसके चलते भारत और नेपाल के पारंपरिक रिश्तों में काफी तनाव आ गया था। 

अब नेपाल की पूर्व राष्ट्रपति भंडारी ने शनिवार को कहा कि कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा नेपाल का अभिन्न अंग हैं और इसे लेकर भारत के साथ जो भी विवाद है, उसे कूटनीतिक तरीके से सुलझाया जाना चाहिए। भंडारी ने ‘नेपाली टेरेटरी लिम्पियाधुरा’ नामक पुस्तक के विमोचन के अवसर पर यह बात कही। यह पुस्तक अच्युत गौतम और सुरेंद्र के.सी ने लिखी है। 

यह भी पढ़ें 👉  Big Breking उत्तराखंड के यहाँ के कप्तान ने चौकी इंचार्ज सहित सात सिपाहियो को किया लाईन हाजिर

उन्होंने कहा कि मित्र देशों से नेपाल के राष्ट्रीय हित और सुरक्षा में पारस्परिकता की अपेक्षा करना स्वाभाविक है। भंडारी ने कहा, ‘‘ कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा नेपाल के अभिन्न अंग हैं। नेपाल को कूटनीति के जरिए भारत के साथ सीमा विवाद का यह मसला सुलझाना चाहिए। ’’ गौरतलब है कि नेपाल समय-समय पर इन तीनों क्षेत्रों को अपना हिस्सा बताकर यह मामला उठाता रहा है। काठमांडू में भारतीय दूतावास ने पहले कहा है कि नेपाल के साथ अपने सीमा मुद्दे पर भारत की स्थिति “सुविदित, सुसंगत और स्पष्ट है। इसकी सूचना नेपाल सरकार को दे दी गई है।

यह भी पढ़ें 👉  Big Breking:-जम्मू कश्मीर के अनंतनाग जिले में आतंकियों ने गोली मारकर एक व्यक्ति कर दी हत्या

 

मानसरोवर जाने का सबसे सुगम मार्ग है लिपुलेख 

भारत से उत्तराखंड के रास्ते मानसरोवर जाने का सबसे सुगम मार्ग लिपुलेख दर्रा ही है। यह उत्तराखंड में पड़ता है। यहां से मानसरोवर की दूरी सिर्फ 90 किलोमीटर है। जबकि नेपाल के जरिये मानसरोवर जाने पर करीब 540 किलोमीटर और चीन के रास्ते मानसरोवर जाने पर 900 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। हाल ही में भारत ने लिपुलेख में 80 किलोमीटर की सड़क भी तैयार की है। ताकि कैलाश मानसरोवर जाने वाले श्रद्धालुओं का रास्ता सुगम हो सके। नेपाल ने भारत की इस सड़क योजना का भी यह कहकर विरोध किया था कि लिपुलेख भारत नहीं, उसका हिस्सा है।

Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments