National News :शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण के सूतक काल में बंद हुए बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम के कपाट

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ग्रहण के नौ घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है। ग्रहण काल में भोजनादि तथा देवविग्रह स्पर्श करके पूजनादि वर्जित होते हैं। इस दौरान सभी मंदिरों के कपाट सूतक काल के शुरू होने से पहले बंद कर दिए जाते हैं। सूतक काल के शुरू होने से पहले ही केदारनाथ मंदिर सहित श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के सभी अधीनस्थ मंदिरों के कपाट शाम चार बजे बंद कर दिए गए।

💠बदरी-केदार समेत बीकेटीसी अधीनस्थ सभी मंदिरों के कपाट बंद

बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय के मुताबिक, ग्रहण काल का समय 28 अक्टूबर रात्रि 1 बजकर 4 मिनट है इसलिए नौ घंटे पहले सूतक काल के शुरू होने के चलते दोनों मंदिर तथा मंदिर समिति के सभी अधीनस्थ मंदिर 28 अक्टूबर शाम 4 बजे बंद कर दिए गए। जबकि 29 अक्टूबर रविवार को प्रात: शुद्धिकरण के बाद मंदिर पहले की तरह ही ब्रह्ममुहूर्त में खुलेंगे तथा महाभिषेक, रूद्राभिषेक सहित सभी प्रात:कालीन पूजायें अपने नियत समय पर होंगी।

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जानकारी के मुताबिक, चंद्रग्रहण का सूतक काल नौ घंटा पूर्व यानि शाम 4.05 बजे से शुरू हो गया है। सूतक में मंदिर प्रवेश, मूर्ति स्पर्श, भोजन एवं यात्रा करना आदि वर्जित है। बालक, वृद्ध, रोगी अत्यावश्यक में पथ्याहार ले सकते हैं। भोजन सामग्री जैसे दूध, दही, घी इत्यादि में कुश रख देना चाहिए। गर्भवती महिलाएं पेट पर गाय के गोबर का पतला लेप लगा लें या कुशा रखें।

💠साल का अंतिम चंद्रग्रहण

शरद पूर्णिमा पर इस वर्ष का अंतिम चंद्रग्रहण लगा। रात एक बजकर पांच मिनट से दो बजकर 18 मिनट तक चंद्रग्रहण रहा। एक घंटा 18 मिनट तक ग्रहण काल रहा।

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मान्यता है कि इस दिन लक्ष्मी का जन्म हुआ था। शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी भगवान विष्णु के साथ पृथ्वीलोक में भ्रमण के लिए आती हैं व घर-घर जाकर भक्तों पर कृपा बरसाती हैं।

💠शरद पूर्णिमा पर 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है चांद

मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है। इसे अमृत काल भी कहा जाता है। शरद पूर्णिमा पर चांद अमृत वर्षा करता है। इस दिन चंद्रमा के पूजन से स्वस्थ व नीरोगी काया प्राप्त होती है। लेकिन, इस बार शरद पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण लगने से लोग इस अमृत से वंचित रह जाएंगे।