इस मंदिर में होती हैं भगवान श्रीराम के चरणों की पूजा रामनवमी को लगता है श्रद्धालुओं ताँता

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अल्मोड़ा: सन 1588 में इस मंदिर समूह की स्थापना कुमाऊं के चंद वंशीय राजा रुद्र चंद ने की थी। इस मंदिर में अंकित हैं भगवान श्रीराम के युगल चरण, जानिए अल्‍मोड़ा में स्थित एतिहासिक रामशिला मंदिर वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है।

अल्मोड़ा: अल्‍मोड़ा जिला मुख्यालय के कलक्ट्रेट स्थित एतिहासिक रामशिला मंदिर समूह उत्तर मध्यकालीन वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है। कुमाऊं के चंद वंशीय राजा रुद्र चंद ने सन 1588 में इस मंदिर समूह की स्थापना की। तब से यह मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र बना है। इस मंदिर समूह पर्यटकों को भी आकर्षित करता है।

अष्ट भैरव व नवदुर्गा मंदिरों की एतिहासिक नगरी में पुरातात्विक दृष्टि से कई मंदिर स्थापित हैं। इन्हीं में से एक है प्राचीन राम शिला मंदिर समूह। मंदिर समूह के केंद्रीय कक्ष के विशाल प्रस्तर पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के युगल चरण अंकित हैं। इनको भगवान श्रीराम का पद चिह्न् माना जाता है। यह मंदिर समूह उत्तर मध्यकालीन वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है। मंदिर के दीवारों में उकेरी गई देव प्रतिमाओं एवं शिला चित्रंकनों से इसकी पुष्टि होती है।

इसके तीनों मंदिर ऊंचे तथा विशाल चबूतरों में निर्मित हैं। मंदिर के प्रवेश द्वार के ललाट पर गजलक्ष्मी की मूर्ति उकेरी गई है, जबकि वाह्य भित्तियों पर 12 राशियों का अत्यंत सुंदर चित्रंकन किया गया है। मंदिर की अन्य भित्तियों पर ब्रह्मा, गणोश तथा नवदुर्गा की सुंदर प्रतिमाओं को निरूपित किया गया है। यह मंदिर लोगों की अटूट आस्था का केंद्र है। हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को यहां पूजा अर्चना के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है।

इस मंदिर में अंकित हैं भगवान श्रीराम के युगल चरण, जानिए अल्‍मोड़ा में स्थित एतिहासिक रामशिला मंदिर समूह उत्तर मध्यकालीन वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है। सन 1588 में इस मंदिर समूह की स्थापना कुमाऊं के चंद वंशीय राजा रुद्र चंद ने की थी।

अल्मोड़ा: अल्‍मोड़ा जिला मुख्यालय के कलक्ट्रेट स्थित एतिहासिक रामशिला मंदिर समूह उत्तर मध्यकालीन वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है। कुमाऊं के चंद वंशीय राजा रुद्र चंद ने सन 1588 में इस मंदिर समूह की स्थापना की। तब से यह मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र बना है। इस मंदिर समूह पर्यटकों को भी आकर्षित करता है।


अष्ट भैरव व नवदुर्गा मंदिरों की एतिहासिक नगरी में पुरातात्विक दृष्टि से कई मंदिर स्थापित हैं। इन्हीं में से एक है प्राचीन राम शिला मंदिर समूह। मंदिर समूह के केंद्रीय कक्ष के विशाल प्रस्तर पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के युगल चरण अंकित हैं। इनको भगवान श्रीराम का पद चिह्न् माना जाता है। यह मंदिर समूह उत्तर मध्यकालीन वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है। मंदिर के दीवारों में उकेरी गई देव प्रतिमाओं एवं शिला चित्रंकनों से इसकी पुष्टि होती है।

इसके तीनों मंदिर ऊंचे तथा विशाल चबूतरों में निर्मित हैं। मंदिर के प्रवेश द्वार के ललाट पर गजलक्ष्मी की मूर्ति उकेरी गई है, जबकि वाह्य भित्तियों पर 12 राशियों का अत्यंत सुंदर चित्रंकन किया गया है।

मंदिर की अन्य भित्तियों पर ब्रह्मा, गणोश तथा नवदुर्गा की सुंदर प्रतिमाओं को निरूपित किया गया है। यह मंदिर लोगों की अटूट आस्था का केंद्र है। हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को यहां पूजा अर्चना के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है

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