Health Tips:बरसात में बच्चे हो रहे बीमार, बढ़ रहा डायरिया-पीलिया का कहर, ऐसे रखे ख्याल

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बरसात का मौसम तमाम बीमारियों को अपने साथ लेकर आता है, ऐसे में यदि आपका बच्चा छोटा है तो उनकी सेहत बिगड़ने की संभावना अधिक होती है। इसलिए उनकी सेहत के प्रति विशेष सचेत रहें।बरसात के मौसम में सभी ओर पानी जमा हो जाता है जिसकी वजह से संक्रमण फैलाने वाले बैक्टीरिया और जर्म्स पनपने लगते हैं, ऐसे में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। वहीं इस मौसम इम्युनिटी भी कमजोर हो जाती है, जिसकी वजह से कोई भी बीमारी आपको जल्दी छतिग्रस्त कर सकती है। खासकर बरसात के मौसम में बच्चे अधिक संक्रमित होते हैं, साथ ही बीमारियां भी तेजी से बढ़ती है।

🔹बरसात में ऐसे रखें छोटे बच्चों का ख्याल

वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रताप रावत, डॉ. विशाल कौशिक के मुताबिक बारिश में पानी से होने वाले संक्रमण का खतरा काफी बढ़ जाता है। बच्चों के बीमार होने की संभावना ज्यादा रहती है। अपने बच्चे को बारिश में भीगने से बचाएं। नमी से बचने के लिए बच्चों को सूती कपड़े पहनाएं। मौसम ठंडा होने पर थोड़े मोटे कपड़े पहनाएं।

फंगल इन्फेक्शन से बचाने को उनके कपड़े सूखे रखें। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. आयशा इमरान ने कहा कि बच्चों का डायपर एक बार भी गीला न रहने दें। इन दिनों बच्चे अन्य मौसमों की तुलना में ज्यादा पेशाब करते हैं, इससे उनकी स्किन पर रैशेज हो सकते हैं। बुखार, बदन दर्द, छींक आने या अन्य लक्षण दिखने पर नजरअंदाज न करें और तत्काल डॉक्टर को दिखाएं। मच्छरों से उन्हें बचाएं पूरी तरह से ढके हुए कपड़े पहनाएं।

🔹यहां हैं बच्चे की देखभाल के कुछ जरूरी टिप्स (how to take care of kids in rainy season)

🔹 घरेलू नुस्खे रहेंगे बेहद फायदेमंद

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डॉ सुरेश कहते हैं, “यदि आपके बच्चे को बार-बार बरसाती संक्रमण, बुखार और बीमारी हो रही है, तो ऐसे में कुछ खास घरेलू नुस्खे आजमा कर आप उन्हें इस स्थिति से लड़ने के लिए तैयार कर सकती हैं। हल्दी दूध एंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टीज से भरपूर होते हैं, जो तमाम संक्रमण से लड़ने के लिए शरीर को तैयार करता है।”इसके साथ ही गुनगुने पानी में हल्का सा नमक मिलाएं और इससे गलाला करें, यह सर्दी खांसी जैसे गले से संबंधित संक्रमण का एक बेहतरीन उपचार है। वहीं हर्बल टी इम्यूनिटी को बढ़ावा देते हुए बॉडी टॉक्सिंस को रिमूव करती है, जिससे कि बच्चे कम बीमार पड़ते हैं।

🔹मच्छरों से बचाव है महत्वपूर्ण

बरसात के मौसम में हर जगह पानी का जमाव हो जाता है जिसकी वजह से जगह-जगह पर मच्छर पनपने लगते हैं। ऐसे में कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियां आपके जीवन को प्रभावित कर सकती हैं। खासकर बच्चे बाहरी वातावरण और खेलकूद में अधिक समय व्यतीत करते हैं, इस दौरान उन्हें मच्छरों से अधिक खतरा होता है, इसलिए इस समस्या पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।बरसात के मौसम में जब बच्चे बाहर खेलने जा रहे हों तो, उन्हें पानी के जमाव के आसपास न जानें दें। इसके अलावा पूरे शरीर का कपड़ा पहनाएं, मच्छर से प्रोटेक्शन देने वाली क्रीम और जेल अप्लाई करना न भूलें। वहीं घर पर भी पूरी साफ सफाई रखें और रात को सोते हुए नेट का इस्तेमाल करें।

🔹खानपान पर दें विशेष ध्यान

बरसात के मौसम में बच्चों के खान-पान पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। आमतौर पर बच्चे स्ट्रीट फूड खाना पसंद करते हैं परंतु बरसात में स्ट्रीट फूड से पूरी तरह परहेज रखना चाहिए, क्योंकि इस दौरान संक्रमण का खतरा अधिक होता है। बच्चों के आहार में प्रचुर मात्रा में हरी सब्जियां, केला, पपीता और अनार जैसे मौसमी फल शामिल करें। इसके साथ ही चुकंदर खाने से मदद मिलेगी। यह एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए प्रभावी रूप से काम करता है।

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🔹ड्राई और ढीले कपड़े पहनाएं

बरसात के मौसम में ह्यूमिडिटी बढ़ जाती है, जिसकी वजह से शरीर से अधिक पसीना आता है और बॉडी चिपचिपी रहती है। इसके अलावा बारिश में धूप भी कम निकलता है, तो ऐसे में कपड़े पूरी तरह से सूख नहीं पाते। यदि आप इन चीजों पर ध्यान नहीं देती हैं, तो बच्चों के संक्रमित होने का खतरा अधिक होता है।

🔹न पीने दें रेफ्रिजरेटर का पानी

बरसात के मौसम में सर्दी खांसी और गले संबंधी संक्रमण का खतरा अधिक होता है, साथ ही शरीर की इम्युनिटी भी कमजोर होती है, तो कोई भी बीमारी आपको जल्दी संक्रमित कर सकती है। इसलिए बच्चों को फ्रिज के पानी से पूरी तरह से परहेज रखने के लिए कहें, इस दौरान गुनगुना पानी पीने की सलाह दी जाती है। जिससे कि हाइजीन मेंटेन रहता है और अनचाहे बैक्टीरिया का भी खात्मा होता है।

🔹बच्चों की इंटिमेट हाइजीन पर भी दें ध्यान

छोटे बच्चों को अपने इंटिमेट एरिया की देखभाल करनी नहीं आती इसलिए पेरेंट्स को विशेषकर बच्चों के इंटिमेट हाइजीन पर ध्यान देना चाहिए। बरसात के मौसम में बच्चे बार-बार पेशाब करते हैं, वहीं यदि आपका बच्चा बहुत छोटा है और डायपर पहनता है तो उन्हें लंबे समय तक डायपर में न छोड़ें। क्योंकि डायपर जल्दी गीली हो जाती है और ह्यूमिडिटी के कारण फंगल इंफेक्शन का खतरा भी अधिक होता है।