उत्तराखंड पंचायतों में पंचायतीराज विभाग का इस प्रस्ताव हो सकता है बड़ा बदलाव
उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायतों में आरक्षण पांच साल के बजाय, दस साल के लिए निर्धारित हो सकता है। पंचायतीराज विभाग के इस प्रस्ताव पर गत कैबिनेट में प्रारंभिक विचार-विमर्श हो चुका है।कैबिनेट ने इस पर कुछ और होमवर्क करने के लिए कहा है। ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत में हर स्तर पर आरक्षण लागू है।
इसमें 18 प्रतिशत सीटें एससी, चार प्रतिशत एसटी और 14 प्रतिशत सीटें ओबीसी के लिए आरक्षित होती हैं। साथ ही महिलाओं को भी 50 क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था है। अभी हर पांच साल में आरक्षण का रोटेशन बदलता है। यानि कोई सीट यदि किसी वर्ग के लिए आरक्षित है तो अगली बार वो किसी और वर्ग के खाते में चली जाएगी।
पंचायत प्रतिनिधियों का तर्क है कि इससे अच्छा काम करने वाले प्रतिनिधियों को दूसरा कार्यकाल नहीं मिल पाता। पांच साल के कार्यकाल में उन्हें कार्यप्रणाली समझने में ही काफी समय लग जाता है। इसलिए वह आरक्षण निर्धारण को दस साल के लिए लागू करने की मांग कर रहे हैं।
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