वन वन विभाग के नही बल्कि हमारी एक अनमोल धरोहर है जिसको बचना हमारा कर्तब्य है

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आज पर पर्वतीय क्षेत्र के जंगल आग से जलते जा रहे हैं जिस पर हम उसको सिर्फ देख रहे हैं जिसकी वन सम्पदा चंद मिनटों में आग की भेंट चढ़ रही है जबकि हम कहते हैं

 

जंगल से घास, पीरूल, लकड़ी, छिलका, गुलिया, लीसा, तख्ते, बल्ली हवा और पानी के लिए जंगल हमारा है तो आग लगते वक्त भी वन विभाग का न होकर हमारा ही है तो जब हमारा पूरा हक जानलो में है

 

 

तो अब इस वक्त जो जंगलों में भीषण आग लगी हैं उसके लिए भी हमारा कर्तव्य है कि हम इस भावना को चरितार्थ करते हुए अपने जंगलों को आग से बचाने के लिए वन विभाग के कंधे से कंधा मिलाकर कर सहयोग करें ताकि हम अपनी बहुमूल्य वनसम्पदा को बचा सकें वनों को बचाएंगे तो ही हमे स्वस्थ जीवन व शुद्ध पानी मिल पायेगा आज सीमित संसाधनों और दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों के मध्येनजर जंगलों की आग पर काबू पाना अकेले वन विभाग के लिए नामुकिन है जो हम वर्षों से वन विभाग की लाचारी दरशाती आई है पर इसमें वन विभाग नुकसान तो है ही पर इससे कई गुना नुकशान हमारा है जिसकी भरपाई आने वाले दशकों तक नही हो पाएगी

 

ऐसे में सभी सरकारी विभागों और जनता जनार्दन को अपने जंगलों को बचाने के लिए आगे आना ही होगा।
आज ऐसे भी ग्रामीण क्षेत्र है जहाँ के लोग अपने वनों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं ऐसा ही एक मिसाल
स्याही देवी शीतलाखेत क्षेत्र में जंगल बचाओ-जीवन बचाओ अभियान को जारी रखते हुए महिलाओं, युवाओं द्वारा वनाग्नि नियंत्रण में वन विभाग को भरपूर सहयोग किया जा रहा है।

नौला ग्राम सभा के निकटवर्ती वन पंचायत में आग लगने पर वन विभाग के आने का इंतजार न करते हुए नौला गांव से रेनू आर्य, सुनील कुमार, ममता बिष्ट, नरेंद्र सिंह,हीरा देवी, नारायण सिंह, गीता कार्की, गणेश सिंह, कुमार आदि ने आग पर प्रभावी नियंत्रण पाने में सफलता पाई।
इसके साथ पतलिया ग्राम सभा के ग्रामीणों ने सरपंच मधुली देवी , ललिता नेगी,किरन चांदनी, गोपाल राम, आनंद राम,किशन, हिमांशु किशन लाल,मदन राम और महेश जी के नेतृत्व में वन विभाग की टीम के साथ मिलकर आग बुझाने का कार्य कई वर्षों से कर रहे हैं आइये हम भी अपने क्षेत्रों के जंगलों की आग बुझाने में सहयोग करें

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