Uttrakhand News:वन क्षेत्र में आग लगने पर यह नियंत्रित नहीं हुई तो इसके लिए सीधे तौर पर संबंधित डीएफओ होंगे जिम्मेदार,मंत्री सुबोध उनियाल ने दिए निर्देश

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वन क्षेत्रों में लगने वाली आग पर नियंत्रण के लिए सरकार ने कमर कसनी शुरू कर दी है। इसी कड़ी में वन मंत्री सुबोध उनियाल ने मंगलवार को सचिवालय में हुई विभागीय समीक्षा बैठक में निर्देश दिए कि यदि किसी वन क्षेत्र में आग लगने पर यह नियंत्रित नहीं हुई तो इसके लिए सीधे तौर पर संबंधित डीएफओ जिम्मेदार होंगे।

उन्होंने राज्य में वनों में आग की घटनाओं के न्यूनीकरण के दृष्टिगत केंद्र सरकार को भेजे गए 400 करोड़ रुपये की लागत के प्रस्ताव का फॉलोअप करने के निर्देश भी अधिकारियों को दिए। इसके तहत अग्नि नियंत्रण के लिए उपकरणों की खरीद समेत अन्य कदम उठाए जाएंगे।

🌸अन्य राज्यों की अपेक्षा आग की घटनाएं कम

वन मंत्री उनियाल ने कहा कि पिछले वर्षों में राज्य के जंगलों में अन्य राज्यों की अपेक्षा आग की घटनाएं कम हुई हैं, लेकिन यह बड़ी चुनौती सामने है। उन्होंने निर्देश दिए कि अग्नि नियंत्रण के दृष्टिगत मुख्य वन संरक्षक व वन संरक्षक लगातार डीएफओ की मानीटरिंग करेंगे।

उन्होंने अग्नि नियंत्रण के लिए समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए ग्राम वन प्रबंधन समितियों को सक्रिय करने और प्रोत्साहन राशि शीघ्र भेजने को कहा। साथ ही वन क्षेत्रों में खाल-चाल, वर्षा जल संग्रहण के कार्यों में तेजी लाने पर बल दिया।

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🌸लोनिवि को बनाएं कार्यदायी संस्था

राज्य सेक्टर से विभाग के अंतर्गत होने वाले कार्यों की जानकारी भी वन मंत्री ने ली। उन्होंने निर्देश दिए कि एक करोड़ तक के कार्यों के लिए लोनिवि को कार्यदायी संस्था बनाया जाए। उन्होंने वन क्षेत्रों में चल रहे विभिन्न कार्यों को तत्काल पूरा कराने को भी कहा। साथ ही चेताया कि यदि किसी कार्य का पैसा सरेंडर हुआ तो संबंधित अधिकारी पर कार्रवाई की जाएगी।

🌸उत्तरकाशी में खुलेगा लीसा डिपो

वन मंत्री ने लीसा नीति के संबंध में भी अधिकारियों के साथ विमर्श किया। बात सामने आई कि उत्तरकाशी क्षेत्र के चीड़ वनों से लीसा निकालकर ऋषिकेश डिपो लाया जाता है। फिर खरीदार वहां से इसे ले जाते हैं। उन्होंने निर्देश दिए कि उत्तरकाशी में ही लीसा डिपो जल्द खोला जाए।

🌸निजी क्षेत्र के लिए खुलेंगे द्वार

राज्य में चीड़ वनों से निकलने वाले लीसा से विभाग को लगभग 70 करोड़ रुपये की आमदनी होती है, जबकि इसमें खर्च 60 करोड़ रुपये का आता है। इसे देखते हुए वन मंत्री ने कहा कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत लीसा विदोहन का कार्य निजी क्षेत्र को दिया जा सकता है। उन्होंने इसके लिए गढ़वाल व कुमाऊं में एक-एक प्रभाग चयनित करने के लिए निर्देशित किया।

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🌸बजट का शत-प्रतिशत सदुपयोग न होने पर होगी कार्रवाई

वन मंत्री ने कैंपा (कंपनेसेटरी अफारेस्टेशन फंड मैनेजमेंट एंड प्लानिंग अथारिटी) की बैठक भी ली। उन्होंने कहा कि कैंपा से स्वीकृत बजट का शत-प्रतिशत सदुपयोग सुनिश्चित किया जाए। इसमें कोताही पर कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। उन्होंने क्षतिपूरक वनीकरण के लक्ष्यों की पूर्ति पर ध्यान केंद्रित करने के निर्देश अधिकारियों को दिए।

🌸यह भी लिए गए निर्णय

जिला स्तरीय वनाग्नि प्रबंधन प्लान-2025 जल्द अनुमोदित कराकर 10 जनवरी तक भेजे जाएंगे वन मुख्यालय।

एफएसआई से प्राप्त फायर अलर्ट का सत्यापन कराकर भेजी जाएगी फीडबैक रिपोर्ट।

फायर अलर्ट से जुड़ेंगे पंचायत प्रतिनिधि, ग्राम वनाग्नि प्रबंधन समितियां, आपदा मित्र, वन पंचायत सरपंच।

अग्नि नियंत्रित करने में सक्रिय योगदान देने वाले समुदायों को मिलेगी प्रोत्साहन राशि और ग्राम वनाग्नि प्रबंधन समितियां, वन पंचायतें और महिला व युवक मंगल दल होंगे पुरस्कृत।

पिरुल एकत्रीकरण कर इससे विभिन्न उत्पाद तैयार करने के लिए स्थापित की जाएंगी इकाइयां।

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