Uttrakhand News :यहा बाघ ने युवक पर किया हमला,जंगल में मिला खून से लथपथ शव
गांव भरतपुर के जंगल में सोमवार शाम बाघ ने उत्तराखंड के किसान को मार डाला। रात भर उनका शव जंगल में ही पड़ा रहा। सूचना पर पहुंचे वन विभाग के अफसरों ने बाघ के हमले से इनकार किया लेकिन पोस्टमार्टम में इसकी पुष्टि हुई
💠बाद में वन विभाग ने मौके पर चार कैमरे लगाकर बाघ की निगरानी के लिए टीम तैनात की।
उत्तराखंड के बग्घा 54 इलाके के रहने वाले किसान तारा सिंह ( 33) सोमवार सुबह खरीदारी करने अपने साथी के साथ बाइक से न्यूरिया आए थे। मझोला में उन्होंने बाइक की मरम्मत कराई और शाम को भरतपुर जंगल के कच्चे रास्ते से घर के लिए रवाना हुए। उनका साथ दिन में ही अपना काम निपटाकर गांव लौट गया था। देर रात तारा सिंह घर नहीं पहुंचे तो परिजनों ने खोजबीन की लेकिन कुछ पता नहीं चला। मंगलवार सुबह जंगल के रास्ते निकलने वाले राहगीरों ने महोफ रेंज के खकरा-15 में खून से लथपथ तारा सिंह का शव देखा। सूचना पर पहुंचे उनके भाई गोविंद सिंह ने उनकी शिनाख्त की। सूचना पर पहुंचे वन विभाग के अफसरों ने बाघ के हमले में तारा सिंह की मौत होने से इनकार किया। इस पर पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। पोस्टमार्टम में तारा सिंह के गले पर बाघ के पंजों के निशान मिले।
💠नहीं मिली बाइक, कैसे जंगल तक पहुंचा तारा
परिजनों की मानें तो तारा सिंह बाइक से ही गांव की ओर रवाना हुआ था। लेकिन, जहां उनका शव मिला, उसके आसपास उनकी बाइक नहीं मिली। पुलिस ने आसपास के क्षेत्र में बाइक की तलाश भी की लेकिन कुछ पता नहीं चला। इसी आधार पर वन विभाग के अफसरों ने संदेह जताते हुए इसे बाघ के हमले में मौत होने से इनकार किया।
💠शार्टकट के चक्कर में गई जान
तारा सिंह ने समय और ईंधन बचाने के लिए शार्टकट रास्ता चुना। वही निर्णय जानलेवा साबित हुआ। उसके गांव के लोग न्यूरिया आने जाने के लिए अक्सर भरतपुर जंगल के कच्चे रास्ते का ही इस्तेमाल करते हैं क्योंकि इस रास्ते से वे पांच किलोमीटर की दूरी तय करके न्यूरिया पहुंच जाते हैं। वहीं पक्की सड़क से उन्हें 12 किलोमीटर की दूरी तय करनी प़ड़ती है।
मामला संदिग्ध है और बाघ के हमले से मौत होने की पुष्टि नहीं की जा सकती है। फिलहाल मौके पर चार कैमरों को लगा दिया गया है। टीम को भी निगरानी के लिए लगाया गया है। – नवीन खंडेलवाल, प्रभागीय वनाधिकारी टाइगर रिजर्व
💠भरतपुर के जंगल में बाघ के हमले की चौथी घटना, पहले भी तीन की ली जान
न्यूरिया। गांव भरतपुर के पास जंगल में तारा सिंह बाघ के हमले में मरने वाले पहले व्यक्ति नहीं हैं। इससे पहले भी यहां पर तीन और लोगों को बाघ अपना शिकार बना चुका है।
उत्तराखंड के गांवों के लोगों का न्यूरिया कस्बे में आना-जाना रहता है। अधिकतर लोग भरतपुर गांव वाले जंगल के इसी कच्चे मार्ग से गुजरते हैं।इसी जंगल में इससे पहले भी बाघ तीन लोगों को मार चुका है। पिछले साल दिसंबर में इसी जंगल में भरतपुर निवासी परतोस को बाघ ने मार डाला था। इस घटना के तीन माह बाद ग्राम टांडा कॉलोनी निवासी गोकुल को बाघ खींचकर गन्ने के खेत में ले गया और मार डाला। जहां सोमवार को घटना हुई वहां पर मार्च 2023 में एक युवक को बाघ ने शिकार बनाया था। अब यह चौथी घटना है। इससे ग्रामीणों में दहशत है।
भरतपुर के ग्राम प्रधान मनोज राय ने बताया कि गांव जंगल से सटा हुआ है। जंगल से निकलकर अक्सर बाघ गांव के निकट भी आ जा जाता है। ग्रामीणों ने कई बार वन विभाग से तार फेंसिंग की मांग की लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया।
जंगल में शव मिला था। पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। परिजन बाघ के हमले से मौत होना बता रहे हैं। बाइक का पता किया जा रहा है।