Uttrakhand News :मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की शिष्टाचार भेंट,किया यह अनुरोध

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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शिष्टाचार भेंट की। इस मौके पर उन्होंने प्रधानमंत्री को बागेश्वर में बने ताम्र शिल्प पर आधारित उत्पाद और उत्तराखंड की महिला स्वयं सहायता समूहों के द्वारा तैयार की गई सामग्री भेंट की।

इस पर पीएम मोदी ने राज्य की महिलाओं के परिश्रम की सराहना की और उनका आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री का उत्तराखण्ड को वेडिंग डेस्टिनेशन बताये जाने के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री की अपील के बाद उत्तराखंड में शादियों के लिए देश-विदेश से बडी संख्या में बुकिंग की जा रही है, जिससे राज्य के लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। उन्होंने यह भी बताया कि उत्तराखण्ड में वेडिंग डेस्टिनेशन विकसित किए जाने के लिए 150 करोड़ रुपये के निवेश भी प्राप्त हुए हैं।

💠सीएम धामी ने पीएम मोदी से किया यह अनुरोध

सीएम धामी ने पीएम मोदी से कर्णप्रयाग-ग्वालदम मार्ग में सीमा सड़क संगठन द्वारा किए जा रहे कार्यों में तेजी लाने, पर्यटन, सैन्य आवागमन और आम जनमानस के लिए अत्यन्त उपयोगी 189 किलोमीटर काठगोदाम-भीमताल, ध्यानाचुली-मोरनोला-खेतीखान- लोहाघाट-पंचेश्चर मोटर मार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग के रूप में अधिसूचित करने एवं मानसखण्ड मन्दिर माला परियोजना के अन्तर्गत मानसखण्ड मन्दिरों को जोड़ने वाले 20 मार्गों हेतु एक हजार करोड़ रुपये की स्वीकृति प्रदान करने का अनुरोध किया।

💠गढ़वाल और कुमायूं को जोड़ने वाले मार्गों के विकास पर ध्यान देना जरूरी

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उत्तराखंड में चारधाम यात्रा पर आने वाले यात्रियों और पर्यटकों को मानसखण्ड मन्दिर माला के दर्शन करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए गढ़वाल और कुमायूं को जोड़ने वाले मार्गों के विकास पर ध्यान देना जरूरी है। उन्होंने कहा कि मानसखण्ड मन्दिर माला मिशन के अन्तर्गत चिन्हित 48 पौराणिक मन्दिरों में से 16 मन्दिरों में अवस्थापना विकास के कार्य शुरू हो चुके हैं।

💠जागेश्वर धाम के लिए 150 करोड़ रुपये का मास्टर प्लान

सीएम धामी ने प्रधानमंत्री को बताया कि जागेश्वर धाम के लिए 150 करोड़ रुपये का मास्टर प्लान बनाया गया है। मानसखण्ड मन्दिरों के प्रचार-प्रसार हेतु ‘भारत गौरव मानसखण्ड एक्सप्रेस’ ट्रेन देश के विभिन्न स्थानों से उत्तराखंड के काठगोदाम, टनकपुर रेलवे स्टेशनों के लिए संचालित किए जाने का अनुरोध किया। मानसखण्ड मंदिर माला मिशन के अन्तर्गत कुमाऊं क्षेत्र में स्थित प्रसिद्ध पूर्णागिरी धाम को विकसित करने के लिए शारदा कॉरिडोर के विकास की कार्ययोजना तैयार की जा रही है। मानसखण्ड माला मिशन के अन्तर्गत कुमाऊं क्षेत्र में स्थित प्रसिद्ध कैंची धाम के विकास हेतु मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है। पिथौरागढ़ स्थित सीमान्त गांव गुंजी (आदि कैलाश क्षेत्र) को अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटन डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किए जाने के लिए मास्टर प्लान तैयार कर लिया गया है।

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गुंजी को ‘शिव नगरी’ थीम के आधार पर विकसित किए जाने हेतु 6 घटक कला संस्कृति, कौशल, ज्ञान, ध्यान, विज्ञान और विश्राम में विभाजित किया गया है। प्रथम चरण में स्वदेश दर्शन योजना-2.0 के अन्तर्गत गुंजी में साधना केन्द्र, ईको ट्रेल, संसाधन केन्द्र, हेरिटेज ग्राम विकसित करना और साहसिक गतिविधियां प्रस्तावित हैं। राज्य सरकार द्वारा गुंजी और आदि कैलाश एवं ओम पर्वत के लिए हेली सेवाएं उपलब्ध कराये जाने हेतु सर्वे कर लिया गया है।

💠काशी-विश्वनाथ की तर्ज पर होगा हरिद्वार-ऋषिकेश गंगा कॉरिडोर का निर्माण

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि काशी-विश्वनाथ की तर्ज पर हरिद्वार-ऋषिकेश गंगा कॉरिडोर विकसित करने का कार्य नव गठित उत्तराखंड निवेश एवं आधारिक संरचना बोर्ड (UIIDB) द्वारा किया जाएगा। राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु पीपीपी मोड में सात हेलीपोर्ट तैयार करने का प्रस्ताव है, जिसमें से दो हेलीपोर्ट हेतु भूमि चिन्हित कर ली गई है। शुरुआती चरण में हरिद्वार और देहरादून में हेलीपोर्ट तैयार किए जाने का प्रस्ताव है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के स्थानीय उत्पादों की प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और ब्राडिंग के लिए अम्ब्रेला ब्रान्ड के रूप में हाउस ऑफ हिमालयाज का प्रधानमंत्री द्वारा लोकार्पण किया गया। लोकार्पण के बाद राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों द्वारा हाउस ऑफ हिमालयाज से जुडने के लिए उत्साह दिखाया गया है। प्रथम चरण में मिलेटस, राजमा, पर्वतीय दालें, लाल चावल, हल्द्वी, पहाड़ी नमक, शहद, एरोमेटिक एण्ड हर्बल टी, नैनीताल मोमबत्ती, ऐपण और पिछौड़ा को शार्टलिस्ट किया गया है। राज्य के सभी जीआई उत्पादों को हाउस ऑफ हिमालयाज ब्रान्ड में फोकस किया जा रहा है।

💠आगामी पांच वर्षों में राज्य की GSDP को दोगुना किए जाने का लक्ष्य

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के त्वरित विकास के रोडमैप में आगामी पांच वर्षों में राज्य की GSDP को दोगुना किए जाने का लक्ष्य है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए राज्य के आधारभूत ढांचे में व्यापक वृद्धि प्रस्तावित की गई है।राज्य में औद्योगिकीकरण, सेवा क्षेत्र, कृषि एवं वानिकी और शिक्षा आदि क्षेत्रों में मुख्य रूप से निवेश आकर्षित किया जाना प्रस्तावित है। इस वजह से निकट भविष्य में बिजली की मांग में तेज वृद्धि होने की संभावना है।

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सीएम धामी ने कहा कि उत्तराखंड में निर्माणाधीन जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण में पर्यावरणीय कारणों से हो रहे विलम्ब के फलस्वरूप, राज्य में विद्युत की मांग के सापेक्ष विद्युत/ उपलब्धता में अन्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। यह अन्तर भविष्य में और अधिक हो जाएगा। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से राज्य को केन्द्रीय पूल के कोयला आधारित संयंत्रों से 400 मेगावाट अतिरिक्त विद्युत स्थायी रूप से आवंटित किये जाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि पिथौरागढ़ क्षेत्र की धौलीगंगा तथा गौरी गंगा क्षेत्र में बहने वाली नदियां राज्य के अन्तर्गत बहने वाली गंगा और उसकी सहायक नदियों से अलग हैं। इस क्षेत्र की जल विद्युत परियोजनाओं बौकांग बेलिंग (330 मेगावाट) और सेलाउर्थिग (202 मेगावाट) की स्वीकृतियां प्रदान किए जाने का भी मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया।

मुख्यमंत्री धामी ने प्रधानमंत्री मोदी को बताया कि उत्तराखंड में जून 2013 में आई आपदा के बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा 13 अगस्त 2013 को पारित आदेश एवं जल संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा दिए गए निर्णय के कारण गंगा और उसकी सहायक नदियों में प्रस्तावित 44 जल विद्युत परियोजनाओं, जिनकी कुल क्षमता लगभग 4800 मेगावाट है, का विकास और निर्माण स्थगित है। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड की विद्युत ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए राज्य को खुले बाजार से प्रतिवर्ष लगभग 1000 करोड़ की ऊर्जा क्रय करनी पड़ती है, जो कि पर्वतीय राज्य के वित्तीय संसाधनों पर अतिरिक्त बोझ डालता है। इसलिए राज्य की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए तत्काल चरणबद्ध रूप से अन्य नदी घाटियों में प्रस्तावित परियोजनाओं के निर्माण के लिए सकारात्मक कार्रवाई करना जरूरी है।

सीएम धामी ने पीएम मोदी से उत्तराखंड में गंगा और उसकी सहायक नदियों के अतिरिक्त अन्य नदी घाटियों पर स्थित परियोजनाओं के त्वरित विकास और निर्माण की अनुमति प्रदान किये जाने हेतु जल संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार को यथोचित निर्देश देने का भी अनुरोध किया। उन्होंने प्रधानमंत्री को बताया कि राज्य में हो रहे शहरीकरण के दृष्टिगत ‘चार नई टाउनशिप’ विकसित करने की योजना पर कार्य किया जा रहा है। इसमें दो पर्वतीय क्षेत्रों और दो मैदानी क्षेत्रों में हैं।

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