जान जोखिम में डालकर नदी पार करते स्कूली बच्चे कौन सुनेगा स्कूल के बच्चों की पीड़ा ।

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लालकुआं मैं लगातार बरसात के मौसम में जहां नदी नाले उफान पर रहते हैं वही लालकुआं की गोला नदी अपने आप में सुर्खियों में बनी रहती है

 

 

 

जिसके चलते नदियां उफान पर होती हैं तो नदी के पार रहने वाले एक दर्जन गांवों का संपर्क लालकुआं से टूट जाता है ।

 

 

और जो लोग जहां रहते हैं वही फस जाते हैं कुछ दिन पहले हमने तस्वीरों के माध्यम से दिखाया था कि कैसे मासूम बच्चों को उनके परिजन कंधे में बैठाकर नदी पार करवाते हैं तब जाकर बच्चे स्कूल जाते हैं

 

 

 

 

आज हम वह नई तस्वीरें दिखा रहे हैं की जब स्कूल के बच्चे छुट्टी होने के बाद इस नदी को दो पड़ाव में पार करते हैं और अपनी जान जोखिम में डालते हैं

 

 

 

ऐसे में जान है तो जहान है पर सुनवाई कहीं नहीं है गांव वालों की की मांग नदी के ऊपर एक कम से कम झूला पुल का निर्माण हो जाए जिससे आने जाने में दिक्कत ना हो पर मांग इतनी पुरानी की सुनवाई आज तक नहीं हो पाई ऐसे में कब जनप्रतिनिधि और सरकारें जागेंगी और इनकी पीड़ा में मलहम कब लगाएगी ।

 

 

 

 

संदीप कुमार डीएफओ तराई पूर्वी वन प्रभाग ने भी लोगों से अपील करी है कि नदी को पार ना करें कभी भी पानी का बहाव अपने आप ऊपर से बढ़ सकता है जिससे लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है ।

 

 

 

वही स्कूल के बच्चों का कहना है कि अगर एक पुल बना होता तो हम लोगों को नदी पार करने में दिक्कतें नहीं आती ऐसे में हम लोग और हमारा परिवार क्या करें क्योंकि स्कूल जो भी है नदी के इस पार है जहां हम रहते हैं वहां सरकारी सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है ।

 

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