बेरोजगारों और बर्खास्त कार्मिकों के आन्दोलन से राजनीतिक सूरमाओं की उड़ी नींद – रमेश चन्द्र पाण्डे

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बेरोजगारों और बर्खास्त कार्मिकों के आन्दोलन से राजनीतिक सूरमाओं की उड़ी नींद – रमेश चन्द्र पाण्डे हल्द्वानी — उत्तराखण्ड कार्मिक एकता मंच के संस्थापक अध्यक्ष रमेश चन्द्र पाण्डे ने कहा कि उत्तराखण्ड में बेरोजगारों और विधानसभा से बर्खास्त कर्मियों के आन्दोलन से राजनीतिक सूरमाओं की नींद उड़ी है

 

 

बर्खास्त कार्मिकों के आन्दोलन को समर्थन देकर देहरादून से यहां लौटने पर कार्मिक एकता मंच के संस्थापक अध्यक्ष रमेश चन्द्र पाण्डे ने कहा कि अपने साथ हुए अन्याय के खिलाफ संघर्ष कर रहे विधान सभा से बर्खास्त कार्मिको को होली जैसे एकता पर्व में आवास खाली करने का नोटिस दिये जाने से वे हतप्रभ हैं ।

 

 

 

 

विकास में बाधक हडताल जैसे अप्रिय आन्दोलनों के प्रति जवाबदेही के सवाल को लेकर मुखर एकता मंच के अध्यक्ष श्री पाण्डे ने कहा कि मामले के उच्च न्यायालय में विचाराधीन रहते होली जैसे पर्व पर इनसे आवास खाली कराने की कार्यवाही संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है ।

 

 

 

 

 

श्री पाण्डे ने कहा कि राज्य गठन से लेकर अब तक हुई नियुक्तियों में तो अनुच्छेद 14 एवं 16 के उल्लंघन के कई मामले सामने आये लेकिन बर्खास्तगी में अनुच्छेद 14 ( विधि के समक्ष समानता) के उल्लंघन का मामला पहली बार देखने को मिला है और इस मामले में सबसे हैरतअंगेज बात यह भी देखने को मिली है कि अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करते हुए विधानसभा से जिन 228 कर्मियों को बर्खास्त किया उन्हें एक बार भी अपना पक्ष रखने तक का अवसर नहीं दिया जो कि नैसर्गिक न्याय के भी विरुद्ध है ।

 

 

 

 

उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले में यह भी हैरानी की बात है कि जिस कोटिया कमेटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर 2016 के बाद नियुक्त इन कार्मिकों को बर्खास्त किया गया उस कमेटी ने जब विधानसभा में राज्य गठन के बाद हुई ऐसी सभी नियुक्तयों को अवैध बताया है तो ऐसे में कुुल 396 अवैै नियुक्तयों के सापेक्ष मात्र 228 कार्मिकों के साथ ऐसा क्यों किया ? इसी सवाल को लेकर ये सड़क पर बैठे हैं । उन्होने दो टूक चेतावनी दी कि एक पखवाड़े के भीतर इन्हें इस सवाल का माकूल जवाब नहीं मिला तो एकता मंच धरना स्थल पर डेरा डाल आन्दोलन को नई धार देगा ।

 

 

 

 

 

उन्होंने कहा कि संवैधानिक व्यवस्थाओं की अनदेखी करते हुए अपनाई जाती रही पीक एण्ड चूज की नीति के खिलाफ बेरोजगारों के आन्दोलन के जारी रहते अब विधि के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)के उल्लंघन से क्षुब्ध होकर बर्खास्त कर्मियों द्वारा भी हल्ला बोल देने से सरकार बौखला गई है और पीक एण्ड चूज की नीति के खिलाफ उठने वाली हर आवाज को दबाने पर तुल आई है ।

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