Republic Day 2024: गणतंत्र दिवस परेड में कर्तव्य पथ पर दिखेगा उत्तराखंड का मशहूर नृत्य हिलजात्रा

0
ख़बर शेयर करें -

इस बार गणतंत्र दिवस के मौके पर 26 जनवरी को कर्तव्य पथ पर आयोजित होने वाली गणतंत्र दिवस परेड में उत्तराखंड की झांकी नहीं दिखेगी।हालाँकि आप भारत पर्व की झांकी लालकिले में देख सकते हैं। लेकिन इस बार यहां लोग उत्तराखंड को मिस नहीं करेंगे क्योंकि  इस दिन उत्तराखंड का स्थानीय नृत्य भी प्रस्तुत किया जाएगा।

🔹पिथौरागढ़ का मशहूर नृत्य है हिलजात्रा

जी हां, राज्य के सीमांत जिले पिथौरागढ़ का सबसे रोमांचक लोक नृत्य हिलजात्रा (मुखौटा) नृत्य इस बार गणतंत्र दिवस परेड की शोभा बढ़ाएगा। गणतंत्र दिवस परेड में लगातार दूसरी बार पहाड़ की लोक विरासत दिखेगी. आपको बता दें कि पिछले साल 2023 में भी गणतंत्र दिवस परेड में पिथौरागढ़ के छोलिया नर्तकों के समूह ने अपने शानदार प्रदर्शन से शोभा बढ़ाई थी।

यह भी पढ़ें 👉  Almora News:दन्या पुलिस ने स्कूल में लगाया साइबर क्राइम, नशे से बचने, महिला उत्पीड़न संबंधी अपराधों, साईबर अपराध व नशा मुक्त अभियान के तहत जागरुकता पाठशाला

🔹महिला कलाकार निभाएंगी भूमिका 

सबसे खास बात यह है कि हिलजात्रा की तैयारी के लिए पिथौरागढ़ के भाव राग ताल नाट्य अकादमी के निदेशक कैलाश कुमार के नेतृत्व में आठ सदस्यीय टीम दिल्ली पहुंच चुकी है। बताया गया है कि इसके लिए देशभर से 1300 अन्य महिला कलाकारों को भी आमंत्रित किया गया है। इस संबंध में पिथौरागढ़ के भाव राग ताल नाट्य अकादमी के निदेशक कैलाश कुमार ने बताया कि गणतंत्र दिवस परेड में हिरण-चीतल, बैल की जोड़ी, मां महाकाली, एकलवा बैल और लता-लाटी की भूमिका महिला कलाकार निभाएंगी।

आपको बता दें कि सीमावर्ती पिथौरागढ़ और नेपाल का बेहद लोकप्रिय त्योहार हिलजात्रा आस्था और विश्वास के साथ-साथ रोमांच का भी प्रतीक है. सीमांत जिले में यह 500 वर्ष से अधिक समय से मनाया जा रहा है। इसका आयोजन जिले के विभिन्न स्थानों पर किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इसके लिए देश भर से 1300 लड़कियों को बुलाया जाता हैl इनमें कुमाऊँ में आयोजित होने वाली हिलजात्रा काफी प्रसिद्ध है। इसे देखने के लिए लोगों की भीड़ लगी रहती है।

यह भी पढ़ें 👉  Almora News:एसएसपी अल्मोड़ा के निर्देशन में अल्मोड़ा पुलिस ने ज्वैलरी शोरुम/ दुकानों में सुरक्षा के दृष्टिगत चलाया आकस्मिक चैकिंग अभियान

आपको बता दें कि यह एक कृषि उत्सव है, जो सातू-अंथू से लेकर विभिन्न गांवों में शुरू होकर पिथौरागढ़ में हिलजात्रा के रूप में समाप्त होता है. इस प्रकार बैल, हिरण, लखिया भूत आदि कई पात्र मुखौटे लगाकर मैदान में उतरते हैं और अपने नृत्य से दर्शकों को रोमांचित कर देते हैं। इसका इतिहास काफी पुराना है और नेपाल से जुड़ा हुआ है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *