Pithoragarh News:मुनस्यारी में करीब पांच साल बाद दिखाई दिया हिमालयन पॉम सिवेट,तस्वीर कैमरे में हुई कैद
मुनस्यारी के खलियाटॉप में करीब पांच साल बाद समुद्र तल से 3500 मीटर की ऊंचाई पर पाए जाने वाला हिमालयन पॉम सिवेट का जोड़ा देखा गया है। पर्यावरणविद् इसे अच्छा संकेत मान रहे हैं।खाद्य श्रंखला में इसकी अहम भूमिका होती है। पॉम सिवेट काफी शर्मीला होता है जो पेड़ों की खोह में रहता है और रात के वक्त ही बाहर निकलता है।
🔹सिवेट की तस्वीर कैमरे में कैद
मुनस्यारी क्षेत्र जैवविविधता की दृष्टि से काफी समृद्ध है। यहां कई दुर्लभ वन्यजीव पाए जाते हैं। पहले बड़ी संख्या में दिखाई देने वाले हिमालयन पॉम सिवेट की संख्या काफी कम हो गई है। करीब 10 वर्षों बाद पॉम सिवेट को कैमरे में कैद किया गया है। जैव विविधता और पर्यावरण संरक्षण के लिए लंबे समय से कार्य कर रहे सुरेंद्र पंवार ने मुनस्यारी के खलियाटॉप में पॉम सिवेट को अपने कैमरे में कैद किया है।
🔹हिमालयन पॉम सिवेट का दिखना शुभ संकेत
ये भारत, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान और दक्षिण पूर्वी एशिया में पाया जाता है। पिछले कुछ वर्षों से लोगों को यह नहीं दिखाई दे रहे हैं। इनकी संख्या में कमी आने से पर्यावणविद् चिंतित थे। डीएफओ जीवन मोहन दोगड़े का कहना है कि हिमालयन पॉम सिवेट का दिखना शुभ संकेत हैं। जल्द ही हिमालयन पॉम सिवेट के बारे में जानकारी एकत्र की जाएगी। ये भी देखा जाएगा कि ये वन विभाग के रिकाॅर्ड में है या नहीं।
🔹मांसाहारी होता है पॉम सिवेट
पॉम सिवेट मांसाहारी होता है। यह पक्षियों के अंडे और छोटे पक्षियों को खाता है। इसकी सूंघने की शक्ति काफी तेज होती है, यह दूर से अपने शिकार की खुशबू सूंघ लेता है। ये हमेशा जोड़े में ही दिखाई देता है।
हिमालयन पॉम सिवेट खलियाटॉप और बलाती फार्म के आसपास दिखाई दिया है। ये कई वर्षों बाद कैमरे में कैद हुआ है। इसका दिखना काफी अच्छा है। इनकी संख्या काफी कम हो गई है जिस कारण ये कम ही दिखाई देते हैं – सुरेंद्र पंवार, वन्यजीव फोटोग्राफर