उत्तराखंड के इस जिले में आलू की खेती से संवर रही आर्थिकी, 4250 मीट्रिक टन आलू का किया जा रहा है उत्पादन

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जिले के कई गांवों में आलू की अच्छी पैदावार होती है। आलू की खेती से किसान आर्थिकी संवार रहे हैं। जिले में 278 हेक्टेयर क्षेत्रफल में आलू का उत्पादन किया जाता है। चार हजार से 4250 मीट्रिक टन आलू का उत्पादन होता है। 

बागेश्वर जिले के हिमालयी क्षेत्र से सटे शामा, लीती, बड़ी पन्याली, ज्ञानधूरा, खाती के साथ ही गरुड़ और कांडा के कई गांवों में आलू की खेती से किसान अच्छी आमदनी कर लेते हैं। इस बार आलू की खेती बेहतर होने की उम्मीद है। किसानों के खेत आलू की खेती से लहलहा रहे हैं। बागेश्वर के हिमालयी क्षेत्र से सटे गांवों का आलू स्वादिष्ट होता है। हिमालयी क्षेत्र के गांवों में किसान जैविक विधि से आलू की खेती करते हैं। 

हिमालयी क्षेत्र से सटे इलाकों में आलू की खरीदारी के लिए हल्द्वानी से व्यापारी पहुंचते हैं। घर पर किसानों का आलू करीब 20 रुपये किलो बिक जाता है। फुटकर में किसानों को तीस रुपये किलो तक आलू के दाम मिल जाते हैं। 

हालिया बारिश आलू की खेती के लिए मुफीद 

जिले के घाटी वाले इलाकों जनवरी में आलू का बीज लगाया जाता है। मई अंत तक फसल तैयार हो जाती है। ऊंचाई वाले इलाकों में फरवरी में आलू का बीज लगाया जाता है। जून के अंत तक आलू तैयार हो जाती है। हालिया बारिश को आलू की खेती के लिए मुफीद माना जा रहा है। कृषि विज्ञान केंद्र बागेश्वर के वैज्ञानिक डॉ. कमल कुमार पांडेय का कहना है कि हालिया बारिश से आलू को ग्रोथ मिलेगी। बारिश आलू के लिए कतई नुकसानदायक नहीं है। इस बार उत्पादन अच्छा रहने का अनुमान है। 

उद्यान अधिकारी बागेश्वरआरके सिंह ने कहा जिले में आलू का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है। हर साल चार हजार से 4250 मीट्रिक टन आलू की पैदावार होती है। बागेश्वर का आलू स्थानीय बाजार के साथ ही हल्द्वानी मंडी में हाथोंहाथ लिया जाता है। आलू का उत्पादन बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। 

 

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