कैलाश मानसरोवर यात्रा इस बार भी नहीं हो पायेगी
लगातार तीसरी बार विश्व की सबसे बडी धार्मिक यात्रा कैलास मानसरोवर यात्रा को रद्द कर दिया गया है, यात्रा 12 जून से सितम्बर के दूसरे सप्ताह तक चलती थी…..
कैलाश मानसरोवर यात्रा के रदद् होने से केएमवीएन को करीब 4 से 5 करोड़ के राजश्व का नुकसान हो रहा है
जबकि हल्द्वानी काठगोदाम से लेकर पिथौरागढ़ गुंजी तक के बीच यात्रा के पड़ाव में काम करने वाले छोटे कारोबारी भी मायूस हैं, इससे पहले 2 साल कैलास मानसरोवर यात्रा कोविड की वज़ह से रद्द कर दी गयी थी…
लगातार तीसरे साल विश्व प्रसिद्ध कैलास मानसरोवर यात्रा कैंसिल हों गयी है, इस बार यात्रा रद्द क्यों हुई इसकी वज़ह साफ नहीं है….क्योंकि मामला विदेश मंत्रालय से जुडा हुआ है, उत्तराखंड में इस बार भी बम बम भोले की गूंज न सुनाई देगी और न देशभर से आने वाले कैलाश मानसरोवर यात्रियों का दल दिखाई देगा,यात्रा रद्द होने से उत्तराखंड को सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक नुकसान पहुंचा है, खासकर उत्तराखंड में जो न सिर्फ देवभूमि है
बल्कि विश्व प्रसिद्ध कैलाश मानसरोवर यात्रा की शुरुआत यहीं से होती है, यात्रा के पहले पांच पड़ाव उत्तराखंड में पढ़ते हैं, कैलाश मानसरोवर यात्रा उत्तराखंड में सबसे पहले काठगोदाम फिर भीमताल फिर अल्मोड़ा और पिथौरागढ़-गूंजी- नाभि डांग होते हुए चीन तिब्बत बॉर्डर तक पहुंचती है।
इस यात्रा के ना होने से लगातार इस बार भी उत्तराखंड में इस यात्रा का संचालन करने वाली संस्था केएमवीएन को अकेले 4 करोड़ से भी अधिक का नुकसान होगा….पिछले दो साल भी कोरोना की वजह से कैलाश मानसरोवर यात्रा को रद्द करना पड़ा था जिससे दोनों वर्षो में कुल मिलाकर इस यात्रा के रदद् होने से करीब 10 करोड़ का नुकसान हो चुका है।
इस यात्रा के इस वर्ष भी ना होने से उत्तराखंड में आर्थिक नुकसान भी हो रहा है, क्योंकि कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले यात्री सीमावर्ती क्षेत्रों में न सिर्फ होमस्टे में रहते हैं, बल्कि उनको पहाड़ी उत्पादों से बने सुंदर व्यंजन का भोजन भी कराया जाता है जिससे उस क्षेत्र की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होती है लेकिन इस बार भी यह नहीं हो पाएगा, हालांकि उत्तराखंड के सीएम और पर्यटन मंत्री ने कैलास मानसरोवर यात्रा कों लेकर विदेश मंत्रालय से बातचीत करने की बात कही है….