Kagil Vijay Diwas: शहीदों के परिजनों से किए वादे नहीं निभाए,शहीदों के गांवों को अब भी ‘विकास’ का इंतजार

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अल्मोड़ा। कारगिल दिवस पर बुधवार को शहीदों को नमन कर श्रद्धासुमन अर्पित किए जाएंगे। अल्मोड़ा जिले के सात वीर सपूतों ने देश के लिए अपनी शहादत दी है लेकिन गांव की जिस मिट्टी में खेल कर देश सेवा का जुनून आया और देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया आज उन्हीं शहीदों के गांव विकास को तरस रहे हैं।कुछ शहीदों के गांव आजादी के 76 साल बाद भी सड़क से नहीं जुड़ सके हैं तो कुछ शहीदों के गांव तक बनी बदहाल सड़क पर उनके गांव वाले और परिजन खतरे के बीच सफर करने के लिए मजबूर हैं। इस उपेक्षा से शहीदों के परिजन आहत हैं। 

🔹आज तक शहीदों के गांवों में विकास नहीं पहुंचा

अल्मोड़ा कारगिल वीरों की वसुधा है। यहां के सात जवान कारगिल युद्ध में देश के लिए शहीद हो गए। कैप्टन आदित्य मिश्रा, हवलदार तम बहादुर क्षेत्री, नायक हरि बहादुर घले, लांस नायक हरीश सिंह देवड़ी, हवलदार हरी सिंह थापा, पीटीआर राम सिंह बोरा, सिपाही मोहन सिंह ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया है। वर्तमान में चार शहीदों के परिवार अन्य शहरों में बस गए हैं लेकिन जिन शहीदों से परिजनों ने वीर सपूत की याद में गांव नहीं छोड़ा और उनकी यादों के सहारे जीवन बिता रहे हैं आज तक उन गांवों में विकास नहीं पहुंचा है।

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🔹सरकार एक दिन के लिए शहीदों को याद करके भूल जाती है 

कारगिल शहीदों के परिजनों से बात की गई तो उनका दर्द सामने आया। जिले के खड़ाऊं गांव निवासी मोहन सिंह बिष्ट तीन जुलाई 1999 को कारगिल में शहीद हुए थे। उनकी वीरांगना विमला ने बताया कि गांव के लिए बनी सड़क में डामरीकरण नहीं हुआ है। कहा कि सरकार एक दिन के लिए शहीदों को याद करती है और फिर उनकी शहादत को भुला देती है। बताया कि सरकारी तौर पर उनके गांव में शहीद स्मारक तक नहीं बनाया गया। उन्होंने अपने खर्च से गांव में शहीद स्मारक बनाया जो अब जर्जर हो गया है। 

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कारगिल शहीद लांसनायक हरीश देवड़ी की वीरांगना सावित्री देवी ने बताया कि आज तक शहीद का गांव सड़क से नहीं जुड़ सका है।जबकि सरकार शहीदों के नाम पर सड़क निर्माण का दावा कर रही है। शहीद हवलदार तम बहादुर क्षेत्री और नायक हरि बहादुर घले का परिवार अल्मोड़ा में ही रहता है। 

🔹वीरांगनाएं बोली, शहीद के गांवों की सुध ले सरकार

कारगिल युद्ध में पति को खोने के बाद शहीद मोहन सिंह बिष्ट की वीरांगना विमला बिष्ट और हरीश देवड़ी की वीरांगना सावित्री ने पूरे परिवार की जिम्मेदारी उठाई। विमला बिष्ट ने बताया कि पति की स्मृति में बने शहीद स्मारक को भव्य बनाया जाना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी को उनके बलिदान का बोध हो सके। सरकार को इसके लिए प्रयास करना चाहिए। उनके नाम पर गांव में पुस्तकालय, खेल मैदान भी बनाया जाना चाहिए। वहीं शहीद देवड़ी की पत्नी सावित्री देवी ने बताया कि शहीद स्मारक छोटा है। इससे भव्य बनाने के साथ ही गांव को सड़क से जोड़ा जाना चाहिए।