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सोमवार को ऊंचाई वाले स्थानों पर हुई बर्फबारी और बारिश के बाद अब पाले ने ठंड बढ़ा दी है। मंगलवार की सुबह पूरे क्षेत्र में पाले की सफेद चादर बिछी हुई थी। कड़ाके की ठंड से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।

पाले के कारण काश्तकारों और बागवानों के माथे पर चिंता की लकीरें ला दी हैं। पाला फसलों और फलों के लिए नुकसानदायक माना जाता है। अत्यधिक पाला गिरने से जहां पौधों की कोशिकाओं नष्ट हो जाती हैं, वहीं पौधों की बढ़वार भी रुक जाती है। समय से पहले फसल सड़ने लगती है। पौधों के फूल और फलों को भी पाला तहस नहस कर देता है। गगास घाटी के काश्तकार राजेंद्र बिष्ट ने बताया कि पाले से पत्ते, टहनियां और तने नष्ट होने से पौधों में बीमारियां लग जाती हैं। फलों में धब्बे बन जाते हैं। पाले के कारण अत्यिधक ठंड पड़ रही है। हालांकि ठंड से बचने के लिए प्रशासन की तरफ से अलाव की व्यवस्था की गई है। पालिका क्षेत्र में भी अलाव जलाए जा रहे हैं। रानीखेत में मंगलवार को अधिकतम तापमान आठ और न्यूनतम माइनस दो डिग्री रिकार्ड किया गया।

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