Almora News:पानी के लिए हाहाकार, परेशान ग्रामीणों ने अधिशासी अभियंता को घेरा
ग्रामीण इलाको में अभी भी पानी की समस्या बनी हुई है। इससे लोगों में नाराजगी है। लोगों का कहना है कि जल संस्थान की समस्या की अनदेखी कर रहा है।
🔹समस्या हल ना होने पर होगा उग्र आंदोलन
जिले के हवालबाग विकासखंड के अंतर्गत ग्राम पंचायत मटेला और उसके तोक पसेड़, सुनौला में पांच दिन से पानी की आपूर्ति ठप होने से 500 से अधिक की आबादी परेशान है। इन गांवों में पेयजल के लिए हाहाकार मचा है।इससे गुस्साए ग्रामीणों ने रविवार को जल संस्थान के ईई का घेराव किया। उन्होंने प्रदर्शन कर चेतावनी दी कि अगर पानी की आपूर्ति शीघ्र सुचारू नहीं हुई तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।
🔹पेयजल दिक्कत से बच्चो की पढ़ाई हो रही बाधित
मटेला स्थित पंप हाउस से ग्राम पंचायत मटेला और उसके तोक पसेड़, सुनौला में पेयजल आपूर्ति होती है। ग्रामीणों ने बताया कि पिछले पांच दिन से पानी नहीं आया है जिसके कारण भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीण एक से दो किमी दूर नौलों से पानी ढो रहे हैं। हैंडपंप भी दूर होने से पानी लाने में दिक्कत हो रही है। इधर पेयजल दिक्कत से परेशान ग्रामीण रविवार को मटेला पंप हाउस पहुंचे और जल संस्थान के अधिशासी अभियंता का घेराव किया। उन्होंने वहां प्रदर्शन भी किया। कहा कि जल संस्थान पानी का बिल तो निर्धारित समय पर भेज देता है लेकिन पानी कभी समय पर नहीं आ रहा है।
🔹पानी जुटाने में बीता विद्यार्थियों का पूरा दिन
विद्यार्थियों की रविवार की छुट्टी पानी जुटाने में बर्बाद हो गई। इन दिनों अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं चल रही है लेकिन पानी न आने की वजह से विद्यार्थियों का पूरा दिन परिवार, मवेशियों के लिए पानी जुटाने में बीत गया। इससे जहां उनकी पढ़ाई बाधित रही वहीं परेशानी भी झेलनी पड़ी।
🔹लोग बोले
पानी न मिलने के कारण बहुत परेशानी हो रही है। पूरा दिन पानी का इंतजाम करने में निकल जाता है। पेयजल आपूर्ति शीघ्र बहाल की जाए। – कुशाल सिंह, मटेला
🔹पानी की किल्लत पर संबंधित विभाग के अधिकारी चुप्पी साधे हैं। उपभोक्ताओं की परेशानी को नजरअंदाज किया जा रहा है। नौलों में भी पर्याप्त पानी नहीं है। समस्या का समाधान जल्द दूर किया जाए। – नवीन जोशी, मटेला
🔹कोट
जल जीवन मिशन के तहत गांव में लगे नए कनेक्शन में फैरूल नहीं लगे हैं। इससे पेयजल वितरण व्यवस्था में दिक्कत आ रही है। इसका शीघ्र समाधान किया जाएगा। -अरुण कुमार सोनी, ईई, जल संस्थान अल्मोड़ा