उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने भारत सरकार के वन सचिव, नेशनल वाइल्डलाइफ बोर्ड, प्रमुख वन्यजीव संरक्षक उत्तराखंड से 4 हफ्ते में मांगा जवाब

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उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने वत्सल फाउंडेशन की सचिव श्वेता माशीवाल द्वारा रामनगर मे आमडंडा खत्ता के निवासियों को बिजली, पेयजल और विद्यालय जैसी मूलभूत सुविधाएं दिलाये जाने के संबंध में दायर जनहित याचिका पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की।

 

 

मामले को सुनने के बाद कोर्ट की खंडपीठ ने भारत सरकार के वन सचिव, सदस्य सचिव नेशनल वाइल्डलाइफ बोर्ड, प्रमुख वन्यजीव संरक्षक उत्तराखंड, निदेशक कॉर्बेट टाइगर रिजर्व, अधिशासी अभियंता यूपीसीएल रामनगर, अधिशासी अभियंता जल संस्थान रामनगर, जिलाधिकारी नैनीताल, मुख्य विकास अधिकारी नैनीताल को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब पेस करने को कहा है। मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने छः सप्ताह बाद की तिथि नियत की है ।

 

 

आपको बता दे स्वेता मासीवाल उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर कहा है कि आमडंडा क्षेत्र में विद्युतीकरण को लेकर 2015 में धनराशि आबंटित हो गयी थी और संयुक्त निरीक्षण के अनुसार आमडंडा में विद्युतीकरण के लिए एक भी पेड़ नहीं काटा जाना है। जबकि केंद्र सरकार के नियमों के अनुसार सिर्फ प्रति हेक्टेयर 75 से अधिक पेड़ काटे जाने पर ही वन ग्राम में विद्युतीकरण हेतु केंद्र सरकार की अनुमति की आवश्यकता होती है

 

 

 

लेकिन इस मामले में अधिकारियों की हीला हवाली के कारण 2015 से आज तक विद्युतीकरण नहीं हो पाया है। इसी तरह आमडंडा में पेयजल को लेकर भी वर्ष 2012 से आज तक कोई कार्यवाही नहीं हो पाई है। याचिकाकर्ता का कहना था कि आमडंडा खत्ता के ग्रामीण बिजली पानी और शिक्षा के अभाव में कष्टमय जीवन जी रहे हैं

 

 

 

और अधिकारियों द्वारा लगातार उनके अधिकारों की अनदेखी की जा रही है। जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थरना की गई है कि उन्हें जरूरी मूलभूत सुविधाएं दिलाई जाय।

 

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