उत्तराखंड घूमने पर इस फल का आनंद अवश्य लें औषधी गुणों से भरपूर

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आप अगर देवभूमि उत्तराखंड में आ रहे हैं तो इस फल का स्वाद अवश्य लीजिये इसको खाये बिना आपका स्वाद अधूरा है


अगर आप यहाँ घूमने आये हैं तो इसका स्वाद अवश्य लें अगर आपने इस फल का स्वाद नहीं लिया, तो आपकी यात्रा अधूरी है. ऐसे ही फलों में एक बेहद लोकप्रिय नाम है- काफल

उत्तराखंड अपनी खूबसूरती के लिए काफी मशहूर है। यहाँ के पहाड़ी इलाकों में कई तरह के फल-फूल पाए जाते हैं, जिनकी अपनी अलग विशिष्टता होती है। आज हम उत्तराखंड में पाए जाने वाले एक ऐसे ही फल का जिक्र करेंगे जो वाकई में काफी अनोखा है। जिस फल को काफल के नाम से जाना जाता है।

मध्य हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाने वाले इस पहाड़ी फल की बनावट शहतूत की तरह होती है। गर्मियों में पाए जाने वाले काफल जब कच्चा रहता है तो हरे रंग का होता है लेकिन पकने पर ये लाल और काले रंग का हो जाता है। इसका स्वाद कुछ खट्टा और कुछ मीठा होता है। पर्वतीय क्षेत्र के लोगों में काफल रोजगार का एक जरिया भी है। यहां लोग दिनभर जंगलों में घूमकर काफल इकट्ठा करते हैं और आसपास के शहरी इलाकों में जाकर बेचते हैं।

 

काफल स्वास्थ्य के लिए भी काफी लाभप्रद माना जाता है। इसमें अनेक औषधि गुण भी होते हैं
काफल के पीछे एक रोचक कहानी भी है। कहा जाता है कि एक बार एक बूढ़ी औरत दिनभर पहाड़ों में घूमकर काफल इकट्ठा कर घर लाती है और फल के उस टोकरी को अपने बेटी के जिम्मे में छोड़कर किसी दूसरे काम में निकल जाती है।

देर दोपहर में वापस आकर वो देखती है कि टोकरी में काफल काफी कम हो गया है और वो ये सोचती है कि उसकी बेटी ने ही काफल खा लिया है। गुस्से में तिलमिलाई महिला ने सोती हुई बेटी पर जोर प्रहार किया जिससे उसकी मौत हो गई। शाम को वो औरत देखती है कि काफल की टोकरी में फिर से काफल भर गए हैं।

 

इस पर महिला को पता चलता है कि काफल धूप में मुरझा जाते हैं और शाम होते ही फिर से खिल जाते हैं। इस बात पर उस बूढ़ी औरत को अपनी बेटी की मौत का दुखद एहसास होता है और इस सदमें को न सह पाने के कारण उसकी मौत हो जाती है।

 

कुमाऊं के लोक गीतो में काफल का जिक्र मिलता है। यहां लोग काफल को देवों का फल मानते हैं। स्वास्थ्यवर्धक और स्वादिष्ट होने के बावजूद काफल को बड़े स्तर पर पहचान नहीं मिल सकी है और इसके पीछे का कारण ये है कि काफल एक मौसमी फल है और पेड़ से तोड़े जाने के एक दिन तक इसको रखा जा सकता है इसके बाद ये खराब होने लगता है। स्टोरेज की उचित व्यवस्था होने पर को लंबे समय तक रखा जा सकता है

 

काफल के अनेक औषधीय गुण आयुर्वेद में मिलते हैं। यह फल अपने‌‌ आप में एक जड़ी-बूटी है। चरक संहिता में भी इसके अनेक गुणकारी लाभों के बारे में वर्णन है। काफल के छाल, फल, बीज, फूल सभी का इस्तेमाल आयुर्विज्ञान में किया जाता है। काफल सांस संबंधी समस्याओं, डायबिटीज, पाइल्स, मोटापा, सूजन, जलन, मुंह में छाले, मूत्रदोष, बुखार, अपच, शुक्राणु के लिए फायदेमंद व दर्द निवारण में उत्तम है।

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