Big News धर्मान्तरण पर सख्त हुआ सुप्रीम कोर्ट दी ये हिदायत
दान-अनाज देकर लोगों को लुभाना बेहद गंभीर समस्या..’, धर्मान्तरण पर सख्त हुआ सुप्रीम कोर्ट
सर्वोच्च न्यायालय ने जबरन धर्मांतरण को ‘गंभीर मुद्दा’ बताते हुए कहा है कि यह संविधान के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चैरिटी के नाम पर किसी का धर्म परिवर्तन कराने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
इस संबंध में केंद्र और राज्यों को विस्तृत हलफनामा दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। चैरिटी की आड़ में धर्मांतरण करने वाले मिशनरीज और गैर सरकारी संस्थानों (NGO) की नीयत पर सवाल खड़े करते हुए शीर्ष अदालत ने सोमवार (5 दिसंबर) को यह बात कही। कोर्ट ने कहा कि दवा और अनाज देकर लोगों को लुभाना और उनका धर्म परिवर्तन करना बेहद गंभीर मुद्दा है। हर अच्छे काम का स्वागत है, मगर उसके पीछे की नीयत की जाँच आवश्यक है। सुप्रीम कोर्ट, अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
उपाध्याय ने सर्वोच्च न्यायालय से आग्रह किया है कि वह केंद्र सरकार को इस सम्बन्ध में कठोर कदम उठाने का निर्देश दे, ताकि डरा-धमकाकर, उपहार या रुपए-पैसों का प्रलोभन देकर धर्मांतरण को रोका जा सके। न्यायमूर्ति शाह के नेतृत्व वाली 2 जजों की पीठ इस मामले पर सुनवाई कर रही है। पिछली सुनवाई (14 नवंबर) में अदालत ने जबरन धर्म परिवर्तन को देश की सुरक्षा के लिए खतरनाक करार दिया था। केंद्र सरकार ने भी इससे सहमति जाहिर करते हुए कहा था कि 9 राज्यों ने इसके खिलाफ कानून बनाया है।
केंद्र भी आवश्यक कदम उठाएगा। सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने बेंच को बताया है कि वे सभी राज्यों से जबरन धर्मांतरण पर डेटा एकत्रित कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने अदालत से एक सप्ताह का समय माँगा। मामले की अगली सुनवाई 12 दिसंबर 2022 को होगी। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि, ‘धर्म परिवर्तन के मामलों को देखने के लिए एक कमेटी होनी चाहिए, जो निर्धारित करे कि वाकई हृदय परिवर्तन हुआ है या लालच और दबाव में धर्म बदलने का प्रयास किया जा रहा है।’
अदालत ने कहा कि, ‘यह बेहद गंभीर मामला है। दान और समाज सेवा अच्छी चीजें हैं, मगर धर्मांतरण के पीछे कोई गलत मकसद नहीं होना चाहिए।’ एक वकील की ओर से इस याचिका की मान्यता पर सवाल खड़े किए जाने पर अदालत ने कहा कि इतना टेक्निकल होने की आवश्यकता नहीं है। हम यहाँ पर उपाय खोजने के लिए बैठे हैं। हम यहाँ एक उद्देश्य के लिए हैं। हम चीजों को ठीक करने आए हैं। यदि इस याचिका का मकसद चैरिटी है, तो हम इसका स्वागत करते हैं। किन्तु यहाँ नीयत पर ध्यान देना आवश्यक है।
याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने माँग की है कि धर्म परिवर्तनों के ऐसे मामलों को रोकने के लिए अलग से कानून तैयार किया जाए या फिर इस अपराध को भारतीय दंड संहिता (IPC) में शामिल किया जाए। याचिका में यह भी कहा गया है कि यह मुद्दा किसी एक जगह से जुड़ा नहीं है, बल्कि पूरे देश की समस्या है, जिस पर फ़ौरन ध्यान देने की आवश्यकता है।