Uttrakhand News :प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पिथौरागढ़ के संबोधन की गूंज लोकसभा चुनाव तक सुनाई देगी

ख़बर शेयर करें -

लोकसभा चुनाव के लिए यद्यपि अभी कुछ समय शेष है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सीमांत जिले पिथौरागढ़ से भाजपा के लिए चुनावी भूमिका तैयार कर दी। उत्तराखंड में लोकसभा की मात्र पांच ही सीटें हैं, लेकिन भाजपा के लिए इसकी कितनी अहमियत है, यह उन्होंने अपने संबोधन में स्पष्ट कर दिया।

अध्यात्म और शौर्य की धरा के साथ ही उत्तराखंड को आस्था व राष्ट्र रक्षा से जोड़ते हुए प्रधानमंत्री ने अगर यह दोहराया कि वर्तमान दशक उत्तराखंड का दशक है, तो इसके गहरे निहितार्थ हैं।

💠2014 के बाद यहां भाजपा अविजित बनकर उभरी

उत्तराखंड की एक लोकसभा सीट पर हुई जनसभा में जिस तरह नमो ने सैन्य बहुल राज्य के महत्व को रेखांकित किया, उससे स्पष्ट है कि पिथौरागढ़ के संबोधन की गूंज आने वाले चुनाव तक राज्य की पांचों लोकसभा सीटों पर प्रतिध्वनित होती रहेगी। उत्तराखंड के राजनीतिक धरातल पर यूं तो परंपरागत रूप से भाजपा की गहरी पकड़ रही है, लेकिन वर्ष 2014 के बाद यहां भाजपा अविजित बनकर उभरी है।

अगर राज्य गठन के बाद हुए लोकसभा चुनाव की बात की जाए तो वर्ष 2004 में यहां भाजपा के हिस्से तीन सीट आईं, जबकि कांग्रेस व सपा को एक-एक सीट पर जीत मिली। वर्ष 2009 में अवश्य भाजपा को गहरा झटका लगा। तब पांचों सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी विजयी रहे, लेकिन इसके बाद से भाजपा में मोदी युग के आरंभ के साथ ही भाजपा का विजय रथ भी निर्बाध आगे बढ़ रहा है।

यह भी पढ़ें 👉  Almora News:हिम शैल शिखर जैसे अटल प्रहरी रहते हुए कर्तव्य पथ पर अपने प्राणों को न्यौछावर करने वाले अमर बलिदानी वीरों को अल्मोड़ा पुलिस का नमन

💠भाजपा राज्य में लोकसभा की पांचों सीटें जीत हैट्रिक रचने की तैयारी में जुटी

वर्ष 2014 व 2019 के लोकसभा चुनाव में पांचों सीटों पर परचम फहराकर भाजपा ने कांग्रेस को कहीं पीछे छोड़ दिया। इसी अवधि में भाजपा ने लगातार दो विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस का सामना करारी पराजय से कराया। अब जबकि छह-सात माह बाद चुनाव प्रस्तावित हैं, भाजपा राज्य में लोकसभा की पांचों सीटें जीत हैट्रिक रचने की तैयारी में जुटी हुई है।

प्रधानमंत्री की गुरुवार को पिथौरागढ़ में हुई जनसभा को पार्टी के चुनाव अभियान की भूमिका के रूप में भी देखा जा सकता है। उत्तराखंड ऐसा राज्य है, जहां लगभग प्रत्येक परिवार का कोई सदस्य सेना या अर्द्धसैन्य बलों में सेवारत है या रहा है। प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड को देवभूमि के साथ ही वीरभूमि के रूप में संबोधित किया तो निश्चित रूप से इसका प्रभाव पूरे राज्य पर पडऩा तय है। वन रैंक, वन पेंशन का उल्लेख उन्होंने इसी कड़ी में किया। साथ ही सीमांत राज्य होने के नाते उन्होंने इसके सामरिक महत्व की ओर भी ध्यान आकृष्ट किया।

यह भी पढ़ें 👉  Almora News:अल्मोड़ा जनपद में नवागत अपर जिलाधिकारी युक्ता मिश्रा ने गत दिवस अपना कार्यभार किया गृहण

💠पलायन बड़ा मुद्दा

यही नहीं, सीमांत गांवों से हो रहे पलायन को वाइब्रेंट विलेज योजना के माध्यम से किस तरह नियंत्रित किया जा सकता है, यह उन्होंने बताया। साथ ही कहा कि पहाड़ का पानी और जवानी पहाड़ के काम न आने की अवधारणा को वह तोड़ कर रख देंगे।

प्रधानमंत्री का देवभूमि से विशेष लगाव रहा है, विशेषकर सीमांत क्षेत्रों से। पिछली बार जब वह उत्तराखंड यात्रा पर आए तो चमोली जिले के सीमांत गांव माणा पहुंचे और इस गांव को प्रथम गांव की संज्ञा देते हुए इसके विकास का वादा किया। इस बार वह चीन व नेपाल की सीमा से सटे पिथौरागढ़ जिले के गुंजी गांव पहुंचे।

💠पीएम ने केदारनाथ और मानसखंड का किया जिक्र

इसके साथ ही उन्होंने केदारखंड (गढ़वाल) व मानसखंड (कुमाऊं) के आध्यात्मिक महत्व को उकेरा। इसके पीछे उनकी मंशा यही है कि केदारखंड और मानसखंड विश्व में धार्मिक पर्यटन के बड़े केंद्र के रूप में भी उभरें। विश्वभर के लोग यहां आएं शांति व सुकून महसूस करने के साथ ही आध्यात्मिक प्रेरणा लेकर जाएं। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में इस सबका उल्लेख कर देवभूमि के प्रति अपनी आस्था और लगाव के रंग को और गाढ़ा कर दिया।