Uttrakhand News:कवि कुमार विश्वास ने परिवार के साथ किए भगवान बदरीनाथ और केदारनाथ धाम के दर्शन
कवि कुमार विश्वास ने माता-पिता के साथ रविवार को भगवान बदरीनाथ और केदारनाथ धाम के दर्शन किए। कुमार विश्वास दोपहर दो बजे हेलीकॉप्टर से बदरीनाथ धाम पहुंचे। मंदिर में पहुंचकर दंडवत हुए कुमार विश्वास ने अपने अंदाज में कहा कि भगवान सबकुछ देखता है।
💠मैं पहले जो था ईश्वर की कृपा से फिर वही हो गया हूं।
बदरीनाथ धाम में आकर खुश हूं। बीकेटीसी के उपाध्यक्ष किशोर पंवार ने उनका स्वागत किया। उन्होंने रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी से भी भेंट की। दर्शनों के बाद वे केदारनाथ के लिए रवाना हो गए। वहां उन्होंने बाबा केदार के दर्शन कर पूजा अर्चना की।
💠हरकी पैड़ी पर की गंगा पूजा
बदरीनाथ धाम के दर्शन के बाद कुमार हरिद्वार पहुंचे। यहां उन्होंने हरकी पैड़ी पर गंगा पूजन किया। गंगा सभा के पुजारियों ने उनकी विशेष पूजा अर्चना कराई। इस दौरान वहां उन्हें देखने वालों की भीड़ भी उमड़ी रही।
💠इस दौरान उनके साथ निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलशानंद गिरी और खानपुर विधायक उमेश कुमार भी मौजूद रहे।
इस दौरान कुमार विश्वास ने कहा कि भारतकुलम विश्वविद्यालय की स्थापना से पूर्व उन्होंने देवभूमि में बाबा केदार, बाबा बदरीनाथ के भी दर्शन किए और उनसे सफलता की कामना की। कुमार विश्वास के कहा कि श्रीगंगा सभा के सौजन्य से उन्हें आरती का जो पुण्य प्रसाद मिला है वह संपूर्ण जीवन के लिए शुभदायी और फलदायी होगा। कुमार विश्वास ने कहा कि गंगा के दोनों किनारों से देश स्पंदित होता है जागृत होता है। दुनिया के किसी भी देश में किसी नदी से आत्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संबंध नहीं रहा। भारत की संस्कृति में जनमानस की आस्था गंगा से है, जो मोक्षदायिनी भी हैं।
💠दक्षिण काली पीठाधीश्वर ने दिया कुमार विश्वास को आशीर्वाद
मां गंगा की आरती और स्नान के लिए आए कुमार विश्वास को दक्षिण काली पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ने आशीर्वाद दिया। उन्होंने कहा कि कुमार विश्वास न केवल विद्वत सभा के एक प्रख्यात कवि हैं, बल्कि देश की सांस्कृतिक सभ्यता की अलख जगाने में भी उनका अमूल्य सहयोग है। स्वामी कैलाशानंद ने कुमार विश्वास को नवरात्र के विशेष अनुष्ठान के प्रसाद भी दिया।
💠’यह गंगा का किनारा है…’
कुमार विश्वास ने हरिद्वार में प्रशंसकों की भीड़ में खूब वाहवाही लूटी। उन्होंने कई युवाओं की मांग पर तत्काल मां गंगा पर कविता भी बना दी। कविता ‘खिलौने साथ बचपन तक, जवानी बस रवानी तक। सभी अनुभव भरे किस्से बुढ़ापे की कहानी तक। जमाने में सहारे हैं सभी बस जिंदगी भर के, मगर यह जिंदगी के आखिरी पल का सहारा है। यह गंगा का किनारा है, यह गंगा का किनारा है। जब तरन्नुम में सुनाया तो तालियों की गूंज उठने लगी।