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उत्तराखंड में अवैध रूप से चल रहे मदरसों के खिलाफ राज्य सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है। देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और खासकर हल्द्वानी के बनभूलपूरा जैसे क्षेत्रों में कई ऐसे मदरसे बंद किए गए हैं, जो बिना अनुमति या संदिग्ध गतिविधियों के साथ चल रहे थे।

यह कार्रवाई न केवल कानून-व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक कदम है, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित करने का भी प्रयास है। आइए, इस मुहिम को करीब से समझते हैं।

🌸धामी सरकार का एक्शन मोड

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अवैध मदरसों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है। उनके नेतृत्व में अब तक 170 से अधिक ऐसे मदरसे सील किए जा चुके हैं, जो या तो बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे थे या जिनकी गतिविधियां संदेह के घेरे में थीं। सरकार ने विशेष सर्वे टीमें बनाई हैं, जो इन संस्थानों की जांच कर रही हैं। इन टीमों की रिपोर्ट के आधार पर जिला प्रशासन ने सख्ती बरती है। चाहे वह बिना भवन निर्माण अनुमति के संचालित इमारतें हों या शैक्षिक मान्यता का अभाव, हर कमी को गंभीरता से लिया गया है।

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🌸हल्द्वानी में ताजा कार्रवाई – 13 मदरसे सील

हाल ही में नैनीताल जिले के हल्द्वानी में रविवार को 13 अवैध मदरसों को सील किया गया। बनभूलपूरा जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में यह कार्रवाई विशेष रूप से चर्चा में रही। इनमें से कई मदरसों ने न तो निर्माण की अनुमति ली थी, न ही सुरक्षा मापदंडों का पालन किया था। देहरादून, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर जैसे जिलों में भी इसी तरह की कार्रवाई तेजी से चल रही है।

ऊधमसिंह नगर में 65, हरिद्वार में 43, देहरादून में 44, नैनीताल में 18, पौड़ी में 2 और अल्मोड़ा में 1 मदरसा सील किया गया है। यह आंकड़े सरकार की इस मुहिम की गंभीरता को दर्शाते हैं।

🌸पारदर्शिता और सुरक्षा का संदेश

मुख्यमंत्री धामी ने स्पष्ट किया है कि उनकी सरकार का मकसद किसी समुदाय को निशाना बनाना नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि राज्य में हर शैक्षिक संस्थान वैध और पारदर्शी हो। उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि उत्तराखंड में कोई भी संस्थान उग्रवाद या कट्टरता का केंद्र न बने। हर संस्था को नियमों का पालन करना होगा।” यह बयान न केवल सरकार के इरादों को स्पष्ट करता है, बल्कि जनता के बीच भरोसा भी जगाता है।

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🌸जनता के लिए क्या मायने रखता है यह कदम?

यह कार्रवाई आम लोगों के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण है। अवैध संस्थानों पर नकेल से न केवल शिक्षा की गुणवत्ता सुधरेगी, बल्कि सामाजिक सद्भाव और सुरक्षा भी मजबूत होगी। यह कदम उन अभिभावकों के लिए भी राहत की बात है, जो अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित रहते हैं। साथ ही, यह सरकार की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जो कानून के समक्ष सभी को समान मानती है।

उत्तराखंड सरकार की यह मुहिम अभी खत्म नहीं हुई है। जांच टीमें लगातार काम कर रही हैं, और आने वाले दिनों में और कार्रवाइयां देखने को मिल सकती हैं। यह कदम न केवल वर्तमान को सुरक्षित कर रहा है, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक मजबूत नींव भी तैयार कर रहा है। अगर आप भी इस बदलाव का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो जागरूक रहें और नियमों का पालन करने वाली संस्थाओं का समर्थन करें। आखिर, शिक्षा और सुरक्षा हर नागरिक का हक है।

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