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38वें राष्ट्रीय खेलों का आयोजन उत्तराखंड में हो रहा है, जहां राज्य ने अपनी शानदार पहल और प्रयासों से खेलों की दुनिया में एक नया अध्याय जोड़ा है।

उत्तराखंड ने न केवल खेलों के आयोजन को भव्य रूप से प्रस्तुत किया, बल्कि उसने अपनी हरित पहल और स्थानीय संस्कृति के माध्यम से प्रभावी संदेश भी भेजे हैं। इस दौरान राज्य ने पर्यावरण संरक्षण, महिला स्वास्थ्य, लोक संस्कृति और फिटनेस को प्रमुखता से प्रमोट किया है।

🌸ग्रीन गेम्स की थीम पर उत्तराखंड की पहल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उत्तराखंड की ग्रीन गेम्स पहल की सराहना की है। राज्य ने खेलों की शुरुआत से लेकर आयोजन तक पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए कई कदम उठाए हैं। शुभंकर के रूप में मोनाल पक्षी का चयन किया गया, जो राज्य का राज्य पक्षी है और इसे पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक माना गया है। इसके अलावा, पदकों को ई-वेस्ट से तैयार किया गया है, जिससे एक सकारात्मक संदेश दिया गया है कि बर्बाद सामग्रियों से भी कुछ सकारात्मक कार्य किया जा सकता है।

🌸खेल वन और ई-वेस्ट का बेहतर इस्तेमाल

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खिलाड़ियों को जीतने पर मिलने वाले पदकों के साथ-साथ, राज्य ने खेलों में ई-वेस्ट का बेहतर इस्तेमाल किया है। आयोजन स्थल पर ई-वेस्ट से बने प्रतीक जैसे भागता हुआ खिलाड़ी और मोनाल पक्षी, इनका आकर्षण का केंद्र रहे हैं। इसके अलावा, राज्य में 2.77 हेक्टेयर जमीन पर खेल वन की स्थापना की जा रही है, जहां 1600 रुद्राक्ष के पौधे लगाए जाएंगे, जो पर्यावरण संरक्षण के संदेश को और मजबूती से प्रस्तुत करेंगे।

🌸साइकिल और ई-रिक्शा के माध्यम से संदेश

खेल स्थलों पर साइकिल का इस्तेमाल भी किया गया, जिससे दो अहम संदेश दिए गए हैं-एक तो पर्यावरण संरक्षण का और दूसरा फिटनेस का। इसके अलावा, आयोजनों में प्रदूषण नियंत्रण के लिए ई-रिक्शा का उपयोग किया गया, ताकि खेलों के दौरान प्रदूषण से बचा जा सके।

उत्तराखंड ने महिला खिलाड़ियों के लिए विशेष वैलकम किट तैयार की, जिसमें सेनेटरी पैड और अन्य जरूरी सामान शामिल किए गए। यह पहल महिला स्वास्थ्य को प्रमोट करने और उनके समर्पण की सराहना करने के उद्देश्य से की गई। इस कदम ने खेलों में महिला खिलाड़ियों को सम्मान देने की दिशा में एक नई मिसाल कायम की है।

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🌸लोक संस्कृति और पारंपरिक खेलों की चमक

देवभूमि उत्तराखंड ने अपने राष्ट्रीय खेलों में लोक संस्कृति और पारंपरिक खेलों को भी महत्व दिया है। योग और मलखंब जैसे पारंपरिक खेल इस बार राष्ट्रीय खेलों का हिस्सा बने, जो पहले गोवा में नहीं थे। उत्तराखंड ने इन खेलों को शामिल कराने के लिए सक्रिय पैरवी की थी। इसके साथ ही, राज्य ने खेलों के आयोजन में लोक कला, जैसे झंगोरा और गहथ की दाल जैसे व्यंजन, परोसकर अपनी संस्कृति का प्रचार किया।

🌸राष्ट्रीय खेलों के संदेश की स्वीकार्यता

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अवसर पर कहा कि उत्तराखंड ने राष्ट्रीय खेलों के दौरान कई पहल की हैं, जो पूरे देश में सकारात्मक संदेश भेज रही हैं। ग्रीन गेम्स की थीम को सही मायने में लागू करने के लिए राज्य ने कई ठोस कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यह हर्ष का विषय है कि देशभर से आए खिलाड़ी और मेहमान उत्तराखंड की इन पहलों से जुड़ रहे हैं।

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