Uttrakhand News :मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हिमालयी राज्यों के लिए विशिष्ट नीतियां बनाने की पैरवी करते हुए केंद्र सरकार से किया अनुरोध
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हिमालयी राज्यों के लिए विशिष्ट नीतियां बनाने की पैरवी करते हुए केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि वह ऊर्जा की कमी को पूरा करने के लिए हिमालयी राज्यों को 25 मेगावाट से कम क्षमता की जल विद्युत परियोजनाओं को मंजूरी देने और क्रियान्वित करने की अनुमति प्रदान करे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में शनिवार को यहां आयोजित नीति आयोग की शासी परिषद की बैठक में धामी ने यह बात कही।
💠उत्तराखंड सरकार की ओर से जारी एक विज्ञप्ति
उत्तराखंड सरकार की ओर से जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार, धामी ने लघु जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण के लिए प्रस्तावित 24 प्रतिशत पूंजीगत सब्सिडी को पूर्वोत्तर राज्यों के साथ ही हिमालयी राज्यों में भी लागू करने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी विकसित राष्ट्र में उसके शहरी क्षेत्र विकास के इंजन के रूप में विशेष योगदान देते हैं। उन्होंने कहा कि रोजगार सृजन बड़े शहरों में अधिक होता है पर इन शहरों में अत्यधिक जनसंख्या के कारण मूलभूत सुविधाएं देना कठिन हो जाता है, इसलिए इस समस्या के समाधान के लिए विभिन्न शहरों के बीच कई ‘काउंटर मैग्नेट एरिया’ विकसित करने होंगे।
धामी ने अनुसंधान, विकास और नवाचार के लिए 2047 तक ‘विकसित भारत’ की अवधारणा के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और क्वांटम तत्परता पर ‘विशेष ध्यान’ देने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। विज्ञप्ति के अनुसार, ” मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले साल नीति आयोग की आठवीं बैठक में हिमालयी राज्यों के विकास से जुड़े कुछ प्रस्ताव रखे गये थे, (और) उन्होंने उन प्रस्तावों पर हिमालयी राज्यों के संदर्भ में विशिष्ट नीतियां बनाने का अनुरोध किया था। ”
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के कई शहरों में पेयजल का गंभीर संकट दिखाई दिया जिसके समाधान के लिए भूजल स्तर बढ़ाने के साथ-साथ जल संरक्षण पर विशेष कार्य करने की आवश्यकता है। उत्तराखण्ड में इसके लिए ‘स्प्रिंग एंड रिवर रिज्युविनेशन ऑथॉरिटी’ (सारा) का गठन किया है। सारा जल संरक्षण और जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने और हिम आधारित नदियों को वर्षा आधारित नदियों से जोड़े जाने की परियोजना पर कार्य कर रहा है। उन्होंने इसके लिए केन्द्र सरकार से विशेष वित्तीय सहायता एवं तकनीकि सहयोग का अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विकसित भारत के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमिता को बढ़ावा देने की आवश्यकता है और इसमें कलस्टर आधारित ‘इंक्यूबेशन सेंटर’ तथा ‘विकास केंद्र’ महत्वपूर्ण साबित होंगे। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में प्रायोगिक परियोजना के रूप में ग्रामीण क्षेत्र में दो ‘इंक्यूबेशन सेंटर’ तथा 110 ‘विकास केंद्र’ स्थापित किये गये हैं। उन्होंने ‘इंक्यूबेशन सेंटर’ स्थापित करने के लिए केन्द्र सरकार से तकनीकी और वित्तीय सहयोग प्रदान करने के लिए अनुरोध किया।
विज्ञप्ति के अनुसार मुख्यमंत्री ने ऊर्जा की कमी को पूरा करने के लिए राज्यों को 25 मेगावाट से कम क्षमता की जल विद्युत परियोजनाओं के अनुमोदन तथा क्रियान्वयन की अनुमति प्रदान करने तथा लघु जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण के लिए प्रस्तावित 24 प्रतिशत कैपिटल सब्सिडी के प्रस्ताव को पूर्वोत्तर राज्यों के साथ ही हिमालयी राज्यों में भी लागू करने का अनुरोध किया। इसमें कहा गया कि धामी ने ‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना’ के दिशानिर्देश में ‘लिफ्ट सिंचाई’ को शामिल करने के लिए भी केंद्र से अनुरोध किया।
बैठक में धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत के लक्ष्य को पूर्ण करने की दिशा में उत्तराखंड भी निरंतर कार्य कर रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा की दृष्टि से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील राज्य है और उन्होंने इसे दृष्टिगत रखते हुए इस बार के केन्द्रीय बजट में उत्तराखंड के लिए विशेष वित्तीय प्राविधान किये जाने पर उन्होंने प्रधानमंत्री के प्रति आभार व्यक्त किया। विज्ञप्ति के अनुसार, ”धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में राज्य ने ‘समान नागरिक संहिता’ विधेयक को उत्तराखंड में पारित किया है।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि वैश्विक तापन (ग्लोबल वार्मिंग) तथा जलवायु परिवर्तन जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इसके दृष्टिगत उत्तराखंड सरकार पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था के समन्वय से विकास योजनाओं को संचालित करने पर विशेष ध्यान दे रही है। उन्होंने कहा कि राज्य में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की तर्ज पर सकल पारिस्थितिकी उत्पाद (जीईपी) जारी करने की शुरुआत की गई है।