उत्तराखंड:मुनस्यारी में भारी बारिश का कहर, बौना गांव के पास टूटा पहाड़, मलबे से नदी के बहाव से बनी झील

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शनिवार की रात को मुनस्यारी क्षेत्र में हुई भारी बारिश के चलते आठ हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित बौना गांव के पास पहाड़ दरक गया। पहाड़ का मलबा गांव के निचले हिस्से में बहने वाली पेना नदी पर गिरा।मलबे ने पेना नदी का प्रवाह रोक दिया है। इस स्थान पर झील बन चुकी है।

🔹बढ़ता जा रहा झील का आकार

पानी का रिसाव नहीं होने से झील का आकार बढ़ता जा रहा है। इस स्थल से गोरी नदी के मध्य स्थित चार गांवों में दहशत बनी है। ग्रामीण भयभीत हैं। जिलाधिकारी को इसकी सूचना देते हुए एसडीआरएफ सहित राजस्व दल भेजने की मांग की गई है। शनिवार की रात को मुनस्यारी तहसील क्षेत्र में भारी बारिश हुई। क्षेत्र में 42 एमएम से अधिक बारिश होने के कारण अत्यधिक ऊंचाई पर स्थित बौना गांव के निकट पहाड़ दरक गया।

🔹ग्रामीणों ने इसकी सूचना तहसील प्रशासन को दी

पूरा मलबा बौना गांव के ऊपर स्थित पहाड़ से निकलने वाली पेना गाड़ पर गिर गया। मलबा गिरने से पेना नदी का बहाव थम गया और इस स्थान पर झील बन गई। रविवार सुबह जब ग्रामीणों ने यह देखा तो इसकी सूचना तहसील प्रशासन को दी। गांव निवासी महेश रावत, खगेंद्र मेहरा से बात होने पर उन्होंने बताया कि पहाड़ दरकने से यह सब हुआ है। विधायक प्रतिनिधि हीरा सिंह चिराल ने इसकी जानकारी विधायक हरीश धामी को दी है। 

विधायक द्वारा जिला प्रशासन और तहसील प्रशासन को इसकी सूचना देते हुए तत्काल नदी के प्रवाह को सुचारु करने को कहा है। इस स्थान से नीचे की तरफ लोदी, टांगा, भिकुरिया घाट , दानीबगड़ और सेराघाट आते हैं। सेराघाट जौलजीबी मुनस्यारी मार्ग से लगा हुआ है।पेना गाड़ बौना के ऊपर पहाड़ से निकलती है। यह नदी आगे चल कर छिपलाकेदार से निकलने वाली नदी पर मिलती है, जिसे सेरा नदी कहा जाता है। सेराघाट के पास यह नदी गोरी नदी में मिल जाता है। इस नदी पर पांच-पांच मेगावाट की जल विद्युत परियोजनाएं भी हैं।

🔹दो दशक पूर्व सेरा नदी ने बहा दिया था मोटर पुल

जौलजीबी -मुनस्यारी मार्ग पर सेराघाट के पास सेरा नदी पर बना मोटर पुल लगभग दो दशक पूर्व सेरा नदी के उफान में बह गया था । यह पुल नदी से काफी ऊंचाई पर था। मार्ग छह माह तक बंद रहा था। बीते दो दशकों के बीच पेना नदी द्वारा कहर बरपाया गया। 

नदी किनारे स्थित टांगा गांव में 2019 में भीषण आपदा भी आयी थी। मलबे में दब कर 11 लोगों की मौत हुई थी। जल विद्युत परियोजनाएं क्षतिग्रस्त हो गई थी। नदी में झील बने होने और मानसून के सक्रिय होने के कारण बढ़ते पानी को लेकर दहशत है। झील का पानी बढ़ता जा रहा है झील फटने पर गांवों के लिए खतरा बना हुआ है। जिसे लेकर प्रशासन से शीघ्र मलबा हटाकर प्रवाह सामान्य किए जाने की मांग की जा रही है।

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