उत्तराखंड चार धाम यात्रा अब महिला आजीविका का बना केंद्र महिलाओं को मिली ये जिम्मेदारी

0
ख़बर शेयर करें -

 

उत्तराखंड चार धाम यात्रा प्रदेश की आजीविका को भी बड़ा सहारा देती है। ऋषिकेश से लेकर चार धामों के मार्ग पर तमाम लोग इससे अपना रोजगार कमाते हैं। अब महिला स्वयं सहायता समूह भी इस कारोबार में अपनी भूमिका तय कर रहे हैं।केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री समेत चारों धाम में बिकने वाला प्रसाद महिला स्वयं सहायता तैयार कर रही हैं।

 

 

 

 

 

 

 

भारत के प्रथम गांव माणा में भी स्थानीय उत्पादों की खूब मांग है। यात्रा मार्ग पर इस सीजन में स्थानीय फलों से तैयार जूस, स्थानीय उत्पादों की भी मांग बढ़ गई है। केदारनाथ मंदिर का प्रसाद महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार किया जा रहा है। इस साल 20 लाख रुपए से अधिक का प्रसाद बिकने की उम्मीद है। समूह केदारनाथ मंदिर वाले सोवेनियर बनाकर भी बेच रहे हैं। यात्रा रूट पर करीब 20 महिला समूह काम कर रहे हैं। साथ ही समूह मोटे अनाज और पहाड़ी उत्पाद हिलांस बिक्री केंद्र और अपने स्टॉल लगाकर बेच रहे हैं।

 

 

 

 

 

 

 

पयर्टकों के लिए जीएमवीएन के गेस्ट हाऊस में भी 500 रुपये कीमत के जूट के बैग में लोकल उत्पाद रखे गए हैं।स्थानीय उत्पादों की बिक्री के लिए प्रशासन ने 13 केंद्र बनाए हुए हैं। जहां इन दिनों कोदा, झंगोरा, फल प्रसंस्करण से सम्बंधित उत्पादों की खूब बिक्री हो रही है। खासकर चंबा, आगराखाल, नरेंद्रनगर और धनोल्टी में समूह अच्छा कारोबार कर रहे हैं। सुरकंडा आजीविका समूह सुरकंडा मंदिर के लिए प्रसाद बनाने का भी काम करता है। इस तरह से उत्साह समूह नरेंद्रनगर और चंबा में फल प्रसंस्करण कर माल्टे का जूस, बुरांस का जूस आदि का कारोबार कर रहा है। स्थानीय स्तर पर राजमा, उड़द, गहथ भी बेची जा रही है। यमुनोत्री धाम में भी प्रसाद राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार किया जाता है।

 

 

 

 

 

 

 

 

मां ग्राम संगठन खरसाली से जुड़ी महिलाएं स्थानीय उत्पाद चौलाई से बने लड्डू, केदारपाती, मां यमुना मूर्ति यात्रियों को उपलब्ध करा रही हैं। यात्रा मार्ग पर रेणुका समिति, तनूजा स्वयं सहायता समूह, अन्नपूर्णा स्वंय सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं स्टॉल के माध्यम से श्रद्धालुओ को स्थानीय उत्पाद से तैयार आचार, झंगोरा, मडुंवा, राजमा, गहत उपलब्ध करा रही हैं। जिसे आने वाले श्रद्धालु खरीदारी कर रहे है। बदरीनाथ धाम में भी प्रसाद स्थानीय महिला समूहों द्वारा तैयार किया जाता है। कपाट खुलने के साथ ही भारत के प्रथम गांव माणा में भी स्थानीय उत्पादों का कारोबार तेज हो गया है। यात्री यहां पहुंच ग्रामीणों के द्वारा बनाये गए उन के वस्त्र, कार्पेट, मफलर, टोपी, जड़ी बूटियां, भोज पत्र पत्तों की माला, वाल हेंगिग के सोवेनियर खरीद रहे हैं।

 

 

 

 

 

 

 

यात्रा मार्ग पर भी महिला स्वयं सहायता समूह बुरांश, माल्टा का जूस और अचार बेच रहे हैं। माणा के ग्राम प्रधान पीताम्बर मोल्फा और स्थानीय महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ी लक्ष्मी देवी अभी मौसम की बाधा के चलते काम कम है।

Sorese by social media

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *