पर्वतीय जंगलों में आग को रोकने के लिये 1अप्रैल को धामस में मनाया जाएगा ओण दिवस ये है परम्परा
जैसा कि विदित ही है कि उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में जंगलों में आग लगने की घटनाओं से जल स्रोतों, जैवविविधता और पारिस्थितिकी तंत्र को अपूर्णनीय हानि हो रही है। जंगलों में आग की घटनाओं को रोकने, बुझाने में जनता का सहयोग बेहद जरूरी है अन्यथा आने वाले समय में जल स्त्रोतों के सूखने, जंगलों के नष्ट होने से तथा पारिस्थितिकी तंत्र के क्षरण से मानव जीवन पर बेहद विपरीत प्रभाव पड़ेगा।
जंगलों में आग लगने के कारणों में ओण/आडा़/केडा़ जलाने की परंपरा का मुख्य योगदान है। ओण जलाने की परंपरा को समयबद्ध और व्यवस्थित कर वनाग्नि घटनाओं में 90% तक की कमी लाई जा सकती है।
ओण जलाने की परंपरा को समयबद्ध और व्यवस्थित करने तथा वनाग्नि के प्रति जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से पिछले वर्ष ग्राम सभा मटीला/सूरी में 1अप्रैल 2022 को प्रथम ओण दिवस समारोह का आयोजन किया गया।इस अभियान के सकारात्मक परिणामों को देखते हुए जिलाधिकारी अल्मोड़ा द्वारा अल्मोड़ा जिले में प्रतिवर्ष एक अप्रैल को ओण दिवस कार्यक्रम मनाये जाने का निर्णय लिया गया था।
जंगलों को आग से सुरक्षित रखने के इस अभिनव अभियान को आगे बढ़ाते हुए इस वर्ष भी 1 अप्रैल 2023 को ग्राम सभा धामस में द्वितीय ओण दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम का आयोजन प्लस एप्रोच फाउंडेशन, नई दिल्ली द्वारा भव्य स्तर पर किया जा रहा है जिसमें ग्रामोद्योग विकास संस्थान, ढैंली, गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयन पर्यावरण संस्थान , कटारमल, नौला फाउंडेशन तथा जंगल के दोस्त समूह द्वारा भी सहयोग किया जा रहा है।
कार्यक्रम में स्याहीदेवी -शीतलाखेत के आरक्षित वन क्षेत्र को वनाग्नि से सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली महिलाओं तथा प्रथम पंक्ति के फायर फायटर्स को प्लस एप्रोच फाउंडेशन नई दिल्ली द्वारा सम्मानित भी किया जाएगा। कृपया कार्यक्रम में शामिल होकर जंगलों को वनाग्नि से सुरक्षित रखने में अपना बहुमूल्य योगदान देने की कृपा
करें।