बड़ी खबर ईडब्ल्यूएस में 10 प्रतिशत आरक्षण पर ये आया सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला

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सुप्रीम कोर्ट आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था पर सोमवार को फैसला सुनाएगा। ईडब्ल्यूएस कोटे की वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर लंबी सुनवाई के बाद शीर्ष अदालत ने 27 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

 

मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ को यह तय करना है कि क्या ईडब्ल्यूएस कोटे से संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन होता है।

 

 

 

 

 

शीर्ष अदालत में संविधान के 103वें संशोधन को चुनौती दी गई है, जिसके जरिये ईडब्ल्यूएस कोटे का प्रावधान किया गया है। मामले में नवीनतम वाद सूची के अनुसार संविधान पीठ की ओर से एक से ज्यादा फैसला सुनाए जाने की संभावना है। 2019 में लागू किए गए ईडब्ल्यूएस कोटा को तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी डीएमके समेत कई याचिकाकर्ताओं ने संविधान के खिलाफ बताते हुए कोर्ट में चुनौती दी थी।

 

 

 

पांच जजों की बेंच ने की सुनवाई जिसपर सात दिनों तक चली सुनवाई के बाद बेंच ने 27 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। 8 नवंबर को चीफ जस्टिस रिटायर हो रहे हैं। इससे पहले चीफ जस्टिस की बेंच फैसला सुना सकती हैं। इस बेंच में चीफ जस्टिस के अलावा एस रवींद्र भट, दिनेश माहेश्वरी, जेबी पार्डीवाला और बेला एम त्रिवेदी शामिल हैं।

 

 

 

 

 

 

आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों को दिया गया आरक्षणबकेंद्र सरकार ने 2019 में संसद में 103वां संविधान संशोधन प्रस्ताव पारित कर आर्थिक रूप से कमज़ोर सामान्य वर्ग के लोगों को नौकरी और शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण देने की व्यवस्था की थी। इससे संविधान के खिलाफ बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

कानून से संविधान के मूल ढांचे को मिलेगी मजबूती
केंद्र सरकार की तरफ से पेश किए गए वकील ने ईडब्ल्यूएस को नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थाओं में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के को सही बताते हुए कहा कि इस कानून से संविधान के मूल ढांचे को मजबूती मिलेगी। इसे संविधान का उल्लंघन नहीं कहा जा सकता है।

 

 

 

 

 

 

 

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