अब सेना के अफसरों पर भी चल सकता है मुकदमा, सुप्रीम कोर्ट

सेना के अफसरों पर एडल्ट्री के तहत चल सकता है मुकदमा, सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश क्या किसी अफसर की पत्नी के साथ संबंध बनाने के जुर्म में भारतीय सेना के किसी आरोपी अफसर के खिलाफ मुकदमा चल सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने इस सवाल का जवाब कानूनी रुप से तय करते हुए ‘हां’ में लिख दिया है.
दरअसल यह मामला तो पहले से ही चला आ रहा था. अब मगर सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय विशेष बेंच ने सभी सवालों का एक जवाब देते हुए बाकी सब सवालों पर पूर्ण विराम लगा दिया है.
दरअसल, यह मसला तब से चल रहा था जब 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने एडल्ट्री कानून को असंवैधानिक करार देते हुए खत्म ही कर दिया था. तब देश के मुख्य न्यायाधीश रहे चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने वो ऐतिहासिक फैसला सुनाया था. उस फैसले के बाद केंद्र सरकार द्वारा कोर्ट से एक स्पष्टीकरण मांगा गया, जिसमें जानने का प्रयास किया गया था कि क्या 2018 वाला फैसला हमारी सेनाओं पर भी लागू होगा? क्योंकि उनका तो खुद का ही ‘आर्म्ड फोर्स एक्ट’ पहले से ही लिखा हुआ है.
संगीन जुर्म की श्रेणी में आता है सेना में एडल्ट्री
इसके मुताबिक सेना में एडल्ट्री अभी भी एक संगीन जुर्म की ही श्रेणी में आता है. अब भारत के सर्वोच्च न्यायालय के जस्टिस केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने साफ कर दिया है कि 2018 वाला सुप्रीम कोर्ट का फैसला आर्म्ड फोर्सेस को लेकर नहीं था. एडल्ट्री को लेकर तब जो फैसला दिया गया था उसमें, सिर्फ आईपीसी की धारा 497 और सीआरपीसी की धारा 198(2) पर ही ध्यान था. तब कोर्ट को आर्म्ड फोर्सेस एक्ट के प्रावधानों पर चर्चा करने का कोई मौका नहीं मिला था.
वैसे भी इस कोर्ट द्वारा तब भी एडल्ट्री का कोई समर्थन नहीं किया गया था. कोर्ट ने यह भी माना है कि मौजूदा वक्त में यह एक समस्या हो सकती है. कहा तो यहां तक गया था कि शादी तोड़ने का कारण भी एडल्ट्री हो सकता है. अर्टिकल-33 के प्रावधानों को लेकर चर्चा ही नहीं
सुनवाई के दौरान संविधान बेंच ने जोर दिया है कि अभी तक कोर्ट द्वारा अर्टिकल-33 के प्रावधानों को लेकर चर्चा ही नहीं हुई है. अब कोर्ट ने यह बात भी तब बताई है जब ASJ माधवी दीवान द्वारा कई बिंदुओं पर खुलकर प्रकाश डाला गया. उन्होंने ही सेना के अनुशासन को लेकर विस्तृत में जानकारी दी थी. कहा था कि सेना में इस तरह का कल्चर है कि जिसमें सब साथ-साथ रहते हैं. उनमें आपसी भाईचारे की भावना होती है. अब यहां जिक्र इस बात का भी करना जरूरी है कि, सुप्रीम कोर्ट ने 2018 वाले आदेश में लिखा था कि आर्म्ड फोर्सज ट्रिब्यूनल ने भी एडल्ट्री को लेकर कई मामले रद्द कर दिए थे.
उन मामलों में फैसले सुनाते वक्त तब, ट्रिब्यूनल ने 2018 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले का ही तर्क दिया था. हालांकि बाद में केंद्र सरकार ने कोर्ट में याचिका डालकर साफ किया था कि, आर्म्स एक्ट के तहत सेना में एडल्ट्री के लिए अफसर को बर्खास्त तक किया जा सकता है. मंगलवार (31 जनवरी 2023) को इन्हीं तमाम तर्कों के संविधान बेंच ने समझने की कोशिश की और स्पष्ट कर दिया कि सेना में एडल्ट्री को लेकर जो भी कार्रवाई होती है उसे जारी रखा जाए.










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