जानिये राज्य पुष्प ब्रह्मकमल की विशेषताओं

0
ख़बर शेयर करें -

जानिये राज्य पुष्प ब्रह्मकमल की विशेषताओं

इस फूल की धार्मिक मान्यता बहुत हैं। ब्रह्मकमल का अर्थ है ‘ब्रह्मा का कमल’। यह माँ नन्दा का प्रिय पुष्प है। इससे बुरी आत्माओं को भगाया जाता है। इसे नन्दाष्टमी के समय में तोड़ा जाता है और इसके तोड़ने के भी सख्त नियम होते हैं जिनका पालन किया जाना अनिवार्य होता है। यह फूल अगस्त के समय में खिलता है और सितम्बर-अक्टूबर के समय में इसमें फल बनने लगते हैं। इसका जीवन 5-6 माह का होता है।

 

कहा जाता है कि ब्रह्म कमल के पौधों में एक साल में केवल एक बार ही फूल आता है जो कि सिर्फ रात्रि में ही खिलता है। अपने इस गुण के कारण से ब्रह्म कमल को शुभ माना जाता है।

ब्रह्मकमल कमल की अन्य प्रजातियों के विपरीत पानी में नहीं वरन धरती पर खिलता है। सामान्य तौर पर ब्रह्मकमल हिमालय की पहाड़ी ढलानों या 3000-5000 मीटर की ऊँचाई में पाया जाता है। इसकी सुंदरता तथा दैवीय गुणों से प्रभावित हो कर ब्रह्मकमल को उत्तराखंड का राज्य पुष्प भी घोषित किया गया है। वर्तमान में भारत में इसकी लगभग 60 प्रजातियों की पहचान की गई है जिनमें से 50 से अधिक प्रजातियाँ हिमालय के ऊँचाई वाले क्षेत्रों में ही पाई जाती हैं। उत्तराखंड में यह विशेषतौर पर पिण्डारी से लेकर चिफला, रूपकुंड, हेमकुण्ड, ब्रजगंगा, फूलों की घाटी, केदारनाथ तक पाया जाता है।

 

भारत के अन्य भागों में इसे और भी कई नामों से पुकारा जाता है जैसै – हिमाचल में दूधाफूल, कश्मीर में गलगल और उत्तर-पश्चिमी भारत में बरगनडटोगेस। साल में एक बार खिलने वाले गुल बकावली को भी कई बार भ्रमवश ब्रह्मकमल मान लिया जाता है।

 

माना जाता है कि ब्रह्मकमल के पौधे में एक साल में केवल एक बार ही फूल आता है जो कि सिर्फ रात्रि में ही खिलता है। दुर्लभता के इस गुण के कारण से ब्रह्म कमल को शुभ माना जाता है। इस पुष्प की मादक सुगंध का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है जिसने द्रौपदी को इसे पाने के लिए व्याकुल कर दिया था।

 

पिघलते हिमनद और उष्ण होती जलवायु के कारण इस दैवीय पुष्प पर संकट के बादल पहले ही गहरा रहे थे। भक्ति में डूबे श्रद्धालुओं द्वारा केदारनाथ में ब्रह्मकमल का अंधाधुँध दोहन भी इसके अस्तित्व के लिए खतरा बन गया है। इसी तरह हेमकुण्ट साहिब यात्रा में भी ब्रह्मकमल को नोचने का रिवाज-सा बन गया है। पूजा-पाठ के उपयोग में आने वाला औषधीय गुणों से युक्त यह दुर्लभ पुष्प तीर्थयात्रीयों द्वारा अत्यधिक दोहन से लुप्त होने की कगार पर ही पहुँच गया है।

 

तीर्थ स्थानों में न सिर्फ प्राकृतिक परिस्थितियों के साथ मनमानी की जा रही है, बल्कि बेशकीमती स्थानीय प्रजातियों को भी नुकसान पहुँचाया जा रहा है। जैसे बद्रीनाथ में गंधमाधन तुलसी की बहुतायत थी। इसी तुलसी का अभिषेक भगवान बद्रीनाथ को किया जाता रहा है, पर अब इसकी माला बनाने से लेकर प्रसाद के रूप में अंधाधुँध तरीके से नोच खसोट कर इसका जो अंधाधुँध दोहन किया जा रहा है, उससे इसकी स्थिति काफी दयनीय हो चली है।

 

इसी प्रकार ब्रह्मकमल जिसे भगवान ब्रह्मा के कमल का नाम दिया गया था, का भी अंधाधुँध दोहन के चलते अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है। इनकी कमी के चलते बद्रीधाम मंदिर समिति ने उत्तराखंड सरकार से इनके संरक्षण के लिए गुहार भी लगाई है। इस संकट से उबरने के लिए हिमाचल और उत्तराखंड सरकारों को अब जल्दी ही कोई कदम उठाना पड़ेगा।

 

ब्रह्म कमल फूल दुर्लभ फूल होता है जो पत्ते पर रात को खिलता है और प्रात: ब्रह्म मुहूर्त पर पुन: कली का रूप धारण कर लेता है। यह फूल नादौन के कोहला गांव में एक परिवार के गमले में लगे पौधे की कली पर खिला है जिसकी क्षेत्र में काफी चर्चा है। मान्यता है कि यह फूल भगवान ब्रह्मा का प्रतिरूप माना जाता है और इसके खिलने पर विष्णु भगवान की शैय्या दिखाई देती है। यह फूल कोहला गांव की समाजसेविका एवं रिटार्यड सीडीपीओ कमलेश सूद के घर रात को खिला। इसके खिलने की खबर लगते ही रात को सारा परिवार व आसपास के लोग इकट्ठे हो गए और इस दुर्लभ ब्रह्म कमल फूल के दर्शन करने लगे। बृज मोहन सूद, सुमन सूद, नितिन सूद, ईशा सूद, अरुण, सूक्ष्म, वरुण, अशोक, गुरमेल, सुदर्शना, रजत, रूचि, बंटना, मुन्ना, मीना, बलराम, प्रीति, नीलू आदि उपस्थित थे। सभी लोग इसकी पूजा-अर्चना करके भगवान का धन्यवाद कर रहे हैं।

 

विभिन्न रोगों में उपयोग :

 

1. यकृत वृद्धि : ब्रह्मकमल के फूलों की राख को लीवर की वृद्धि में शहद के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है।

2. मिर्गी : ब्रह्मकमल के फूलों के तेल से सिर की मालिश करने से मिर्गी के दौरे तथा मानसिक विकार दूर हो जाते हैं।

3. घाव : ब्रह्मकमल के जड़ को पीसकर शरीर के कटे हुए घावों अथवा कुचले हुए अंगों पर लगाने से लाभ मिलता है।

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *