अल्मोड़ा में इस जीआईसी ऐसे हैं हाल जान जोखिम में डालकर पड़ रहे हैं छात्र
अल्मोड़ा। विकासखंड हवालबाग का जीआईसी रैंगल सरकारी मशीनरी की लापरवाही का प्रमाण है। यहां 220 बच्चे खतरे के बीच पढ़ने के लिए मजबूर हैं। जर्जर हो चुकी छत गिरने का खतरा है। भले ही सरकार ने बच्चों की सुरक्षा के लिए जर्जर हो चुके स्कूल भवनों में उन्हें न बैठाने का आदेश दिया है लेकिन अल्मोड़ा में यह आदेश बेअसर है।
जर्जर हो चुका हवालबाग का जीआईसी रैंगल इसकी बानगीभर है। स्कूल भवन की छत कई जगह क्षतिग्रस्त हो चुकी है और दीवारों में दरारें पड़ गईं हैं।
हालात यह हैं कि भवन कभी भी गिर सकता है। इसके बावजूद यहां 220 बच्चों को इसी जर्जर स्कूल में पढ़ाया जा रहा है। बच्चों की सुरक्षा को पूरी तरह अनदेखा किया जा रहा है। ये नौनिहाल अपनी जान जोखिम में डालकर खतरे के बीच सुनहरे भविष्य के सपने देखने के लिए मजबूर हैं।
बच्चों को स्कूल भेजने से कतरा रहे अभिभावक
अल्मोड़ा। जीआईसी रैंगल की हालत बेहद खराब है। हल्की बारिश में भी इसकी छत टपकने लगती हैं। दीवारों में पड़ी दरारें भी धीरे-धीरे चौड़ी होती जा रहीं हैैं। ऐसे में अभिभावकों को बच्चों की चिंता सता रही है। विभागीय और सरकारी सुस्ती के कारण कई अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने से भी कतराने लगे हैं।
शौचालय भी हो चुका बदहाल
अल्मोड़ा। प्रदेश में नई शिक्षा नीति लागू कर सरकार स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था की बेहतरी के दावे कर रही है लेकिन जीआईसी रैंगल में बच्चों के लिए बेहतर शौचालयों की व्यवस्था तक नहीं है। यहां बनाए गए शौचालय बदहाल हैं जिससे यहां पढ़ने वाले छात्रों के साथ ही बेटियों को भी परेशानी झेलनी पड़ रही है।
जीआईसी रैंगल के सुधारीकरण का प्रस्ताव शासन में भेजा गया है। स्वीकृति मिलते ही सुधारीकरण किया जाएगा। – सत्यनारायण, सीईओ, अल्मोड़ा