हल्द्वानी रेलवे भूमि के अतिक्रमणकारियो को हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत
उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर किए गए अतिक्रमण के खिलाफ समाजिक कार्यकर्ता हल्द्वानी निवासी रवि शंकर जोशी व अतिक्रमणकारियों की तरफ से दायर अलग अलग जनहित याचिकाओ व अपील पर सुनवाई की ।
मामले को सुनने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खण्डपीठ ने फिलहाल अतिक्रमणकारियों को कोई अंतरिम राहत नही दी। अब खण्डपीठ रवि शंकर जोशी की जनहित याचिका में निर्णय आने के बाद 11 मई को इन जनहित याचिकाओं व अपील पर सुनवाई करेगी। आज सुनवाई के दौरान मदरसा गुसाईं गरीब नवाज़ रहमतुल्लाह के संग्रक्षक मोहम्मद इदरीश अंसारी ने विशेष अपील दायर कर कहा है कि उनको रेलवे द्वारा बिना नोटिस जारी किये हटाया जा रहा है । उनको कहीं अन्य जगह नही बसाया जा रहा है। जब तक उन्हें कहीं अन्य जगह नही बसाया जाता तब तक उन्हें नही हटाया जाए। एकलपीठ ने पूर्व में उनकी याचिका यह कहकर निरस्त कर दी थी कि इस मामले में पहले से ही आदेश हुए है।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीप चन्द्र जोशी द्वारा कोर्ट को अवगत कराया कि इस मामले में रवि शंकर जोशी की जनहित याचिका में दूसरी पीठ ने सुनवाई के बाद निर्णय सुरक्षित रखा हुआ है। जिसमे निर्णय आना अभी बाकी है। इन मामलों में अब कोर्ट निर्णय आने के बाद 11 मई को सुनवाई करेगी। अन्य की तरफ से दायर जनहित याचिकाओं में कहा गया कि रेलवे ने अभी तक भूमि का डिमार्केशन नही किया है । उन्हें बिना डिमार्केशन के हटाया जा रहा है। जिस मुख्य स्थायी अधिवक्ता सीएस रावत व रेलवे के अधिवक्ता गोपाल के. वर्मा द्वारा कोर्ट को अवगत कराया कि रेलवे ने कोर्ट के आदेश के बाद डिमार्केशन कर लिया है । रेलवे ने अतिक्रमण को हटाने को लेकर 30 दिन का प्लान कोर्ट में पेश कर दिया है ।
मामले के अनुसार 9 नवम्बर 2016 को हाईकोर्ट ने रविशंकर जोशी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए 10 हफ्तों के भीतर रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि जितने भी अतिक्रमणकारी है उनको रेलवे पीपीएक्ट के तहत नोटिस देकर जनसुवाईयाँ करें। आज रेलवे की तरफ से कहा गया कि हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण किया गया है जिनमे करीब 4365 लोग मौजूद है।
हाई कोर्ट के आदेश पर इन लोगो को पीपीएक्ट में नोटिस दिया गया । जिनकी रेलवे ने पूरी सुनवाई कर ली है। किसी भी व्यक्ति के पास जमीन के वैध कागजात नही पाए गए। इनको हटाने के लिए रेलवे ने जिला अधिकारी नैनीताल से दो बार शुरक्षा दिलाए जाने हेतु पत्र दिया गया। जिसपर आज की तिथि तक कोई प्रतिउत्तर नही दिया गया। जबकि दिसम्बर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यो को दिशा निर्देश दिए थे कि अगर रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण किया गया है
तो पटरी के आसपास रहने वाले लोगो को दो सप्ताह और उसके बाहर रहने वाले लोगो को 6 सप्ताह के भीतर नोटिस देकर हटाएं ताकि रेवले का विस्तार हो सके। इन लोगो को राज्य में कहीं भी बसाने की जिमेदारी जिला प्रशाशन व राज्य सरकारों की होगी। अगर इनके सभी पेपर बैध पाए जाए है तो राज्य सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इनको आवास ज़मुहैया कराएं।