कश्मीर की घाटी में हुआ जी20 सम्मलेन,अमेरिका-यूरोपीय देशों की ट्रेवल एडवाइजरी खत्म होने की उम्मीद जगी

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श्रीनगर में 22 से 24 मई तक जी20 के सफल आयोजन के कई संदेश गए हैं। कूटनीतिक रूप से पाकिस्तान व चीन को तो संदेश देने में सफलता मिली ही है, यह भी उम्मीद जगी है कि तीन दशक से कश्मीर के लिए अमेरिका, इंग्लैंड समेत अन्य यूरोपीय देशों की ओर से जारी ट्रेवल एडवाइजरी खत्म होगी। 

इससे विदेशी सैलानियों का प्रवाह बढ़ेगा, जिससे अर्थव्यवस्था मजबूत होने के साथ ही रोजगार के साधन भी बढे़ंगे। विशेषज्ञ यह मानते हैं कि जी20 पूरी दुनिया के सामने यह छाप छोड़ने में सफल रही है कि कश्मीर के बारे में जैसा दुष्प्रचार अंतरराष्ट्रीय मंच पर करने की कोशिश की जा रही है, धरातल पर वैसा कुछ भी नहीं है। 

शांतिपूर्ण माहौल है। न आतंकवाद का काला चेहरा दिखा और न ही अलगाववाद का। सभी ओर विकास की बयार बह रही है। कारोबारी अपने कारोबार को लेकर खुश हैं, युवा अपनी ऊर्जा सकारात्मक कार्यों में लगा रहे हैं। खेल का मैदान युवाओं व युवतियों से भरा पड़ा है। 

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विशेषज्ञों का कहना है कि 1990 के दशक में जब यहां आतंकवाद शुरू हुआ था तो आए दिन धमाके, हमले से अमेरिका, इंग्लैंड समेत कई यूरोपीय देशों ने एडवाइजरी जारी कर अपने नागरिकों को कश्मीर जाने से रोक दिया। इसका कश्मीर के पर्यटन पर सीधा असर पड़ा। 

अब पर्यटन विभाग के अधिकारियों तथा उद्योग से जुड़े लोगों को उम्मीद जगी है कि जब पूरी दुनिया ने यह देख लिया है कि यहां जैसा दुष्प्रचारित किया जाता है वैसा कुछ भी नहीं है। जी20 के प्रतिनिधियों ने तीन दिनों तक डल झील में शिकारे का आनंद उठाया, श्रीनगर के बाजार में मार्केटिंग की और सैर सपाटा भी किया। 

कहीं भी कोई अप्रिय स्थिति उत्पन्न नहीं हुई। पर्यटन विभाग के सचिव सैयद आबिद राशिद का कहना है कि हम केवल उम्मीद कर सकते हैं। अच्छी पहल रही है और आशा है कि ट्रेवल एडवाइजरी निरस्त होगी। भले ही कुछ देश पहल करें, लेकिन ऐसा होना संभव लगता है। 

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हमें इंतजार ही करना होगा। एडवाइजरी हटी तो पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, अर्थव्यवस्था सुधरेगी और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। पूरी दुनिया में यह संदेश भी जाएगा कि कश्मीर बदल गया है। 

 

कई बार पर्यटन उद्योग के लोगों ने उठाई है मांग

विशेषज्ञों के अनुसार विदेशियों की खरीदने की क्षमता अधिक होती है। इस वजह से यहां की अर्थव्यवस्था अच्छी रही, लेकिन धीरे-धीरे इसका असर दिखना शुरू हो गया। पर्यटन उद्योग से जुड़े कारोबारियों को अब देशी सैलानियों पर ही निर्भर रहना पड़ा। 

 

कई बार पर्यटन कारोबार से जुड़े लोगों ने उचित फोरम पर यह मांग भी उठाई कि एडवाइजरी को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार को प्रयास करने चाहिए ताकि पहले की तरह यहां पर्यटन उद्योग फले फूले।

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