एम्स से फर्जी महिला डॉक्टर गिरफ्तार,खुद को एम्स का जूनियर डॉक्टर बताकर करती थी ठगी
राजधानी स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में बेहतर उपचार के लिए आए भोले-भाले मरीजों की मजबूरी का फायदा उठाकर रुपये ऐंठने वाली फर्जी महिला डॉक्टर को हौज खास थाना पुलिस ने एम्स अस्पताल से गिरफ्तार किया है।आरोपित खुद को एम्स का जूनियर डॉक्टर बताकर ठगी करती थी। उसकी पहचान उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले की निवासी 27 वर्षीय शुभी त्रिवेदी के रूप में हुई है।
डॉक्टरों का कोट पहनकर वह मरीजों के परिजनों से जल्दी इलाज कराने का झांसा देकर वारदात को अंजाम दे रही थी। उत्तराखंड के हरिद्वार से आए एक व्यक्ति की बेटी का इलाज कराने के नाम पर आरोपित ने 96 हजार रुपये ले भी लिये थे। बाद में उसकी शिकायत पर पुलिस ने महिला को एम्स ओपीडी के पास से गिरफ्तार कर लिया।
डीसीपी चंदन चौधरी ने बुधवार को बताया कि 18 अप्रैल को हौज खास थाने में ठगी की एक शिकायत दर्ज कराई गई थी। शिकायत करने वाले व्यक्ति ने बताया कि वह परिवार के साथ उत्तराखंड के हरिद्वार में रहता है। उसकी बेटी को एम्स में दिखाना था। 21 मार्च को वह एम्स में पहुंचा तो वहां उसे नकली डॉक्टर मिली।
आरोपित महिला ने खुद को एम्स का जूनियर डॉक्टर बताया। वह एम्स का डॉक्टरों वाला कोट पहनने के साथ-साथ अपने नाम की नेमप्लेट भी लगा रखी थी। पीड़ित को जल्दी इलाज कराने का भरोसा देकर आरोपित ने अपने खाते में ऑन लाइन 96 हजार रुपये ट्रांसफर करवा लिये। इसके बाद वह इलाज कराने में आना-कानी करने लगी।
उसने पीड़ित का कॉल भी उठाना बंद कर दिया। बाद में पीड़ित को ठगी का अहसास हुआ तो उसने मामले की सूचना एम्स पुलिस चौकी में दी। पीड़ित की शिकायत पर हौज खास थाना पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी। सीसीटीवी, टेक्निकल सर्विलांस और बैंक खातों की डिटेल जुटाने के बाद पुलिस ने आरोपित की फोटो प्राप्त कर ली। इसके बाद पूरे अस्पताल के गार्ड को फोटो दिखाई गई।
जांच के बाद पुलिस की टीम को कामयाबी मिली। सूचना मिली कि आरोपित ओपीडी के पास मौजूद है। इसके बाद पुलिस ने उसे दबोच लिया।पूछताछ में आरोपित शुभी त्रिवेदी ने बताया कि उसका परिवर बदायूं के बिल्सी में रहता है। उसने बरेली के एक कॉलेज से माइक्रोबायोलॉजी में बीएससी की थी। बाद में उसने फॉरेंसिक साइंस से एमएससी की। उसे फॉरेंसिक की ठीक-ठाक जानकारी है। उसने इसका फायदा उठाया।
शुभी ने ठगी के लिए बाजार से एक सफेद रंग का डॉक्टरों वाला कोट खरीदा। इसके बाद उसने खुद के नाम की नेमप्लेट भी बनवा ली। वह खुद को फॉरेंसिक्स एंड टॉक्सिकोलॉजी का डॉक्टर बताकर एम्स में तैनाती बताती थी। वह लोगों को एम्स में जल्द से जल्द उपचार का झांसा देकर ठगी कर रही थी।
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