मौसम की सटीक भविष्यवाणी के लिए प्रदेश के सभी जिलों में लगाये जायेंगे डॉप्लर रडार
आपदा की दृष्टि से उत्तराखंड राज्य बेहद संवेदनशील है। दरअसल, मानसून सीजन के दौरान भारी बारिश के चलते प्रदेश के तमाम हिस्सों में आप दा जैसे हालात बन जाते हैं जिससे न सिर्फ भारी भरकम नुकसान होता है
बल्कि जान माल का भी काफी अधिक नुकसान होता है। जिसे देखते हुए उत्तराखंड सरकार प्रदेश के सभी जिलों में डॉप्लर रडार लगाए जाने पर विचार कर रही है। फिलहाल पहले चरण में 6 और जगहों पर डॉप्लर रडार लगाए जाने पर सहमति बनी है। वर्तमान समय में प्रदेश के 3 जगहों पर डॉप्लर रडार मंजूर हैं जिसमें से मुक्तेश्वर में लगाया गया डॉप्लर रडार काम कर रहा है
जबकि सुरकंडा में स्थापित डॉप्लर रडार इस महीने के अंत से काम करने लगेगा तो वही, लैंसडाउन में डॉप्लर रडार स्थापित किया जा रहा है।
तो वहीं, अब आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील उत्तराखंड के सभी जिलों में डॉप्लर रडार लगाए जाने पर बल दिया जा रहा है। हालांकि पहले चरण में 6 और डॉप्लर रडार लगाए जाने पर सहमति बन गई है। जिससे प्रदेश भर में डॉप्लर रडार की संख्या 9 हो जाएगी। दरअसल, प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्र बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और धारचूला के ऊपरी हिस्सों में डॉप्लर रडार लगाए जाएंगे।
इसी तरह प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों में देहरादून या हरिद्वार और नैनीताल में डॉप्लर रडार लगाया जाएगा। दरअसल, एक छोटे साइज का डॉप्लर राडार लगाने में करीब 8 से 10 करोड़ रुपये का खर्च आता है।
आपदा सचिव डॉ रंजीत सिन्हा ने बताया कि डॉप्लर रडार का उपयोग मौसम की सटीक भविष्यवाणी के साथ ही तेज बारिश, आंधी का पूर्वानुमान लगाने के लिए किया जाता है। उत्तराखंड में आपदाओं को देखते हुए डॉप्लर रडार की संख्या बढ़ाए जाने की आवश्यकता है। वर्तमान समय में तीन डॉप्लर रडार प्रदेश में लगाए गए हैं। तो वही सभी जिलों में डॉप्लर रडार लगाए जाने पर विचार किया जा रहा है
ताकि डॉप्लर रडार का पूरा जाल प्रदेश में फैलाया जा सके। साथ ही डॉ रंजीत सिन्हा ने बताया कि प्रदेश में तेज बारिश की घटनाएं बढ़ रही हैं सामान्य रूप से इसे बादल फटना बताया जाता है डॉप्लर रडार से बादलों के बनने से लेकर उसकी संरचना आदि की जानकारी मिल सकेगी। लिहाजा यह रडार इस तरह के मामले में कारागार साबित हो सकते हैं।