Big Breaking — अब इस मामले को लेकर रमेश चन्द्र पांडे देहरादून में 48 घंटे का करँगे उपवास

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*उत्तराखण्ड कार्मिक एकता मंच के संस्थापक अध्यक्ष रमेश चन्द्र पांडे ने विधान सभा से बर्खास्त कर्मियों के समर्थन में 15 मार्च से धरनास्थल  देहरादून  में 48 घंटे का उपवास कर धरने में बैठने का किया ऐलान*  ::

    गौरतलब  है कि माह सितंबर में विधानसभा के द्वारा कोटिया कमेटी गठित कर उसकी जांच  रिपोर्ट  के आधार पर वर्ष 2016 से वर्ष 2022 तक के 228 निर्दोष कार्मिकों को बिना अपना पक्ष रखने का अवसर दिये अप्रत्याशित  रुप से बर्खास्त कर दिया गया था । एक पखवाड़े पूर्व 27 फरवरी को  कार्मिक एकता मंच के अध्यक्ष रमेश चन्द्र पाण्डे,  वरिष्ठ उपाध्यक्ष धीरेन्द्र पाठक,  महासचिव  दिगम्बर फुलोरिया व अन्य पदाधिकारियों  ने धरना स्थल में पहुंचकर बर्खास्त कार्मिकों को खुला समर्थन देते हुए  बर्खास्त कार्मिकों के साथ धरना दिया था

उसी समय एकता मंच  के अध्यक्ष श्री पांडे ने घोषणा की थी कि अगर विधानसभा एवं सरकार द्वारा इन कार्मिको की बर्खास्तगी में अनुच्छेद  14 के उल्लंघन  के बारे में एक पखवाड़े  के भीतर  स्थिति स्पष्ट  नहीं की तो वे 15 मार्च से धरना स्थल  पर आकर बर्खास्त कार्मिको के साथ सडक पर आकर संघर्ष  को नई  धार देंगें ।

उसी घोषणा के क्रम मे आज बर्खास्त कार्मिकों से मंत्रणा करने के बाद श्री पाण्डे ने बताया कि आज रात्रि में हल्द्वानी से चलकर वे कल 15 मार्च को देेहरादूून पहुचेंगे और पूर्वान्ह 11बजे से   विधानसभा के आगे 19 दिसम्बर से लगातार धरना दे रहे बर्खास्त कार्मिकों के साथ 48 घण्टे के उपवास  में रहते हुए  धरने में बैठेंगे ।

  श्री पांडे ने इस बात पर गहरा आश्चर्य  व्यक्त  किया कि  जिस कोटिया कमेटी की रिपोर्ट  के आधार पर इन्हें अपना पक्ष रखने तक का अवसर दिये बिना बर्खास्त  किया गया उस रिपोर्ट  में वर्ष 2001 से वर्ष 2022 तक समान प्रक्रिया के अनुरूप हुुई सभी नियुक्तियां को जब अवैध ठहराया गया है तो वर्ष 2016 से लेकर वर्ष 2022 तक के कार्मिकों पर ही बर्खास्तगी की गाज क्यों गिरी ?  इसमें इनका दोष बिल्कुल  भी नहीं है । अवैैध नियुक्ति के लिए असली दोषी तो  नियोक्ता  है।

कार्मिक एकता मंच  के अध्यक्ष  एवं रिटायर्ड असिस्टेंट आडिट आफिसर श्री पांडे ने कहा कि विधाासभा जैसे सर्वोच्च  सदन को संवैधानिक व्यवस्थाओं का पालन करने में एक आदर्श  प्रस्तुत  करना चाहिए था लेकिन इसी सर्वोच्च  सदन में मियुक्ति के बाद  अब बर्खास्तगी में भी संविधान में निहित समानता की व्यवस्था पर चोट पहुंचाये जाने से आम जनमानस हतप्रभ होकर रह गया है ।
उन्होंने आगाह किया कि शहीदों की शहादत और कार्मिकों की बगावत  से बने उत्तराखण्ड  राज्य  में अन्याय एवं भेदभाव पूर्ण कार्यवाही  को किसी भी सूरत  में बर्दाश्त  नहीं किया जायेगा ।
विकास में बाधक  हडताल जैसे अप्रिय  आन्दोलनों  के प्रति जवाबदेही के सवाल को लेकर मुखर श्री पांडे ने कहा कि जब तक कार्मिकों को न्याय नहीं मिल जाता तब तक वे  तन मन धन से कार्मिकों के साथ खड़े हैं।

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