Almora News : सर्वदलीय महिला समिति संस्था के विरुद्ध कार्य करने पर महिला को सचिव पद से हटाया

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अल्मोड़ा: पारूल गैरोला अपर सत्र न्यायाधीश अल्मोड़ा ने सर्वदलिया महिला समिति द्वारा लीला बोरा रंजना होटल जिला अल्मोड़ा द्वारा विपक्षीकरण- श्रीमती गीता मेहरा श्रीमती मीना भैसोडा, विद्या बिष्ट, दुष्यंत पांडे के विरुद्ध एक निगरानी दायर की गई थी जिसे माननीय न्यायालय द्वारा निरस्त कर दिया।

उपरोक्त मामले के वास्तविक तथ्य इस प्रकार है कि, अल्मोड़ा में एक सर्वदलीय महिला समिति संस्था इस उद्देश्य के लिए बनाई गई है कि इस संस्था के माध्यम से महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में समाज कल्याण वह अन्य सामाजिक कार्यों के लिए संस्था का पंजीकरण 2015 में किया गया था। इस संस्था के अध्यक्ष श्रीमती मीना भैसोडा, विद्या बिष्ट उपाध्यक्ष, लीला बोरा सचिव, जो इस मामले की निगरानी करता है, श्रीमती लता पांडे संरक्षक, लता तिवारी कोषाध्यक्ष जया मेहता, लक्ष्मी बोरा, सदस्य थी एवं श्री गीता मेहरा को इस संस्था में नाम न दर्ज होने पर भी उसे विपक्षी बनाया गया था।

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सर्वदलीय महिला संस्था अल्मोड़ा अपना सुचारू पूर्वक कम कर रही थी तो लीला बोरा द्वारा समिति के विरुद्ध कार्य किया जाने लगा तो उसे संस्था विरुद्ध कार्य करने के कारण समिति के सचिव पद से हटा दिया गया। तथा संस्था का पंजीकरण 20-20 में समाप्त हो गया, और पुनः नवीनीकरण न होने से संस्था पंजीकृत श्रेणी में आ गई।

संस्था के सचिव पद से लीला बोरा को हटाने के कुछ समय बाद उन्होंने महिला समिति के अन्य पदाधिकारी के विरुद्ध एक रिपोर्ट कोतवाली वह एस पी में दी जिसमें संस्था अपंजीकृत होने में रिपोर्ट नहीं हुई, पुनः लीला बोर नहीं श्रीमान मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के अल्मोड़ा न्यायालय में धारा 156 3 का मुकदमा दायर किया जो कि माननीय न्यायालय ने सही ना पाते हुए निरस्त कर दिया।

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इसके बाद लीला बोरा ने श्रीमान मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय के विरुद्ध एक निगरानी माननीय जिला सत्र न्यायाधीश अल्मोड़ा के न्यायालय में दायर की जो बाद में श्रीमान अपर सत्र न्यायाधीश अल्मोड़ा के न्यायालय में स्थानांतरित कर दी गई।

विद्वान अपर सत्र न्यायाधीश पारुल गैरोला ने विपक्षीकरण संख्या 1 न्याय के अधिवक्ता दीवान सिंह बिष्ट एवं विपक्षीय संख्या 4 के अधिवक्ता विनोद लोहानी के तर्कों को सुना एवं पत्रावली पर मौजूद दस्तावेज साक्षयो का परिसिलान किया तत्पश्चात लीला बोरा द्वारा दायर किया गया निगरानी बाद में बल ना पाते हुए उसे निरस्त कर दिया गया तथा माननीय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अल्मोड़ा के आदेश को यथावत रखा।

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