Almora News :पेयजल समस्या के समाधान को पूर्व दर्जामंत्री कर्नाटक ने दिया जिलाधिकारी को ज्ञापन
अल्मोड़ा- पूर्व दर्जामंत्री बिट्टू कर्नाटक ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर स्याहीदेबी – कंकरकोटी-सरकिट हाउस,अल्मोडा शैल- धारकीतूनी, लोअर माल रोड विन्सर- कसारदेबी, डोल-लोघिया-बर्शिमी ग्रेविटी पेयजल योजनाओं को जल जीवन मिशन / जिला योजना में सम्मिलित किये जाने की मांग की।
ज्ञापन के माध्यम से उन्होंने कहा कि अल्मोडा में सर्वप्रथम 1930 के दशक में स्याहीदेबी-कंकरकोटी-सरकिट हाउस, शैल- धारकीतूनी जाखनदेबी, लोअर माल रोड पाण्डेखोला, विन्सर-कसारदेबी-पपरशैली, बल्ढोटी- एडम्स, डोल लोधिया- बर्शिमी ग्रेविटी (स्त्रोती) पेयजल योजनाओं का निर्माण किया गया था। उक्त सभी स्त्रोती पेयजल योजनाओं से अल्मोडा शहर/ खास प्रजा क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति की जाती थी। जिनका संचालन एवं रख-रखाव उत्तराखण्ड जल संस्थान अल्मोडा के द्वारा किया जाता है। वर्तमान समय में अल्मोडा शहर को कोसी-मटेला पम्पिंग योजना से पेयजल की आपूर्ति करायी जा रही है परन्तु उक्त पम्पिंग पेयजल योजना में वर्षा ऋतु के दौरान कोसी नदी में अत्यधिक सिल्ट आने, समय-समय पर विद्युत व्यवधान होने के कारण पेयजल आपूर्ति अधिकांश समय बाधित रहती है तथा ग्रीष्म ऋतु में कोसी नदी का जल स्तर अत्यधिक कम हो जाता है जिस कारण अल्मोडा शहर एवं ग्रामीण क्षेत्रों की पेयजल आपूर्ति प्रभावित होती है।जिससे नागरिकों को भारी पेयजल संकट से गुजरना पडता है और पेयजल के लिये अन्य स्रोतों नौले आदि पर पीने के पानी हेतु दूर-दूर तक जाना पडता है।
उक्त सभी स्त्रोत आधारित पेयजल योजनायें लगभग 100 वर्ष पुरानी होने के कारण पूर्ण रूप से जर-जर अवस्था में हैं जिनका पुर्नगठन आज तक न होने के कारण इन योजनायें का जीर्णोद्वार होना अत्यन्त आवश्यक है।उक्त सभी पेयजल योजनाओं का स्रोत व अधिकांश पाईप लाईन का भूभाग ग्रामीण क्षेत्र से गुजरता है और पेयजल की आपूर्ति अल्मोडा नगर एवं खास प्रजा क्षेत्रों में की जाती है यह योजनायें ग्रामीण व शहरी होने के कारण इनका पुर्नगठन आज तक नहीं हो पाया है।
अतः अल्मोडा नगर को पेयजल आपूर्ति करने हेतु उक्त सभी स्रोती पेयजल योजनाओं का पुर्नगठन जल जीवन मिशन (हर घर नल योजना) / जिला योजना में स्वीकृत करते हुये यथाशीघ्र करवाने का कष्ट करें ताकि अल्मोडा शहर एवं ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को वर्षभर पेयजल की किल्लत का सामना न करना पडे,साथ ही प्राकृतिक जल स्रोतों को भी संरक्षित किया जा सकेगा।