Almora News:प्रोत्साहन के बावजूद भी अल्मोड़ा में मोटे अनाज की खेती से मुंह मोड़ रहे किसान
मिलेट वर्ष मनाने के साथ ही जागरूकता अभियान के बाद भी जिले में मोटे अनाज की खेती किसानों को रास नहीं आ रही है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि एक वर्ष में मोटे अनाज की खेती का रकबा छह हजार हेक्टेयर और उत्पादन 86 हजार क्विंटल से अधिक घट गया है।
🔹अल्मोड़ा जिले में मोटे अनाज का रकबा घट रहा
वर्ष 2021-22 में 38,306 हेक्टेयर में मोटे अनाज का उत्पादन 5,16,378 क्विंटल हुआ था जबकि अगले वर्ष 2022-23 में यह रकबा घटकर 32,318 हेक्टेयर तो उत्पादन 4,29,592 क्विंटल रह गया।पूरे देश में मिलेट वर्ष मनाकर किसानों को मोटे अनाज की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। लेकिन इन सब के बीच अल्मोड़ा जिले में मोटे अनाज का रकबा घट रहा है और उत्पादन में भी कमी आ रही है।
🔹उत्पादन घटना कृषि विभाग की चिंता बढ़ा रहा
कृषि विभाग के आकड़ों के मुताबिक वर्ष 2021-22 में मडुवा, झंगोरा, रामदाना और सोयाबीन की 38,306 हेक्टेयर में फसल बोई गई थी और इनका 5,16,378.72 क्विंटल उत्पादन हुआ। मगर वर्ष 2022-23 में खेती का रकबा 5925 हेक्टेयर घटकर 32,318 हेक्टेयर और उत्पादन 86,786 क्विंटल घटकर 4,29,592 क्विंटल रह गया। मिलेट वर्ष के बीच किसानों का मोटे अनाज की खेती से मोह भंग होना और इसका उत्पादन घटना कृषि विभाग की चिंता बढ़ा रहा है।
🔹जंगली जानवरों से परेशान हैं किसान
जिले में ग्रामीण क्षेत्रों के लोग खेती कर आजीविका चलाते हैं लेकिन सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा व्यवस्थाओं के अभाव में गांवों से पलायन बढ़ा रहा है। पलायन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार अल्मोड़ा जिले से सबसे अधिक पलायन हुआ है। वहीं वर्तमान में जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में बंदर, जंगली सुअर सहित आवारा जानवरों का आतंक बना हुआ है। ये जानवर खेती को नुकसान पहुंचाकर किसानों की मेहनत पर पानी फेर रहे हैं। ऐसे में किसान खेती से मुंह मोड़ रहे हैं और इसका असर उत्पादन पर पड़ रहा है।
मुख्य कृषि अधिकारी धनपत कुमार का कहना है कि निश्चित तौर पर बीते वर्ष मोटे अनाज का रकबा और उत्पादन घटा है। इस वर्ष खेती का क्षेत्रफल बढ़ा है और उत्पादन भी बेहतर होने की उम्मीद है।