Airplanes Over Mount: क्यों माउंट एवरेस्ट के ऊपर से नहीं गुजरते विमान,जाने इसे ‘नो फ्लाई जोन’ में रखने की वजह
माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई इतनी ज्यादा है इसलिए ऊपर से हवाई जहाज को उड़ाने में पायलट को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि अधिक ऊंचाई पर हवा का घनत्व काफी कम हो जाता है।माउंट एवरेस्ट पर जाना कई लोगों का सपना है। कई लोग हैं जिन्होंने एवरेस्ट बेस कैंप तक पहुंचकर सफलता हासिल की है। समुद्र तक से 8,848 मीटर (29,029 फीट) की ऊंचाई पर स्थित विश्व की सबसे ऊंची चोटी पर हवाई जहाज का पहुंचना भी चुनौती से भरा हुआ है। यही कारण है कि माउंट एवरेस्ट पर उड़ान भरना आसानी से संभव नहीं है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कई और कारण भी हैं जिनकी वजह से माउंट एवरेस्ट पर उड़ान भरना आसान नहीं है। आज हम आपको इसी कारण के बारे में बताएंगे। जिसे जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे।
🔹ऑक्सीजन की हो जाती है कमी
जाहिर है कि माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई इतनी ज्यादा है इसलिए ऊपर से हवाई जहाज को उड़ाने में पायलट को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि अधिक ऊंचाई पर हवा का घनत्व काफी कम हो जाता है, जिसके कारण ऑक्सीजन का स्तर भी कम हो जाता है। ऑक्सीजन की कमी हवाई जहाज के इंजन पर प्रभाव डालती है। जाहिर है कि जेट इंजन्स को सही वायु-ईंधन अनुपात की आवश्यकता होती है ताकि वे सुचारू रूप से काम कर सकें। लेकिन एवरेस्ट की ऊँचाई पर पतली हवा इस संतुलन को विकर्षित करती है।
🔹तापमान में रहता है काफी अंतर
बता दें कि इंजन को वायु में यात्रा के लिए पर्याप्त जोर उत्पन्न करने में संघर्ष करना पड़ता है, जिसके कारण हवाई जहाज सुरक्षित और स्थिर उड़ान नहीं भरा सकता। वहीं माउंट एवरेस्ट के ऊपर से हवाई यात्रा करते समय काफी ज्यादा ठंडक का अहसास होता है तापमान में भी काफी अंतर होता है। ऐसे में हवाई जहाज को सुरक्षित ढंग से चलाने के लिए विशेष संचालन तापमान सीमा की आवश्यकता होती है। क्योंकि इंड ज्यादा होने से ईंधन जमने लगता है। जिससे इंजन की जलने की प्रक्रिया प्रभावित होती है।
🔹आंधी का प्रभाव और विंड शियर
जानकारी के लिए आपको बता दें कि हिमालयी पर्वत श्रृंखला, जिसमें माउंट एवरेस्ट भी शामिल है, जटिल हवा के प्रवाह और तेज़ आंधी का कारण बनती है। यह प्रकृति द्वारा उत्पन्न हवा के धारावाहिकता के साथ संबंधित है। आंधीबद्धता और विंड शियर हवाई जहाजों के लिए गंभीर खतरे पैदा करते हैं, जो नियंत्रण खोने, संरचनात्मक क्षति और ऊँचाई तक न पहुंच पाने का कारण बन सकते हैं।
🔹इमरजेंसी लैंडिंग का रहता है अभाव
गौर करने वाली बात ये है कि माउंट एवरेस्ट एक दूर स्थित और कठिन इलाका है, जिसमें हवाई जहाजों के लिए उपयुक्त लैंडिंग क्षेत्र नहीं होते हैं। किसी आपातकालीन स्थिति या तकनीकी समस्या के मामले में, पायलटों को यात्रियों और क्रू की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षित लैंडिंग के विकल्प की आवश्यकता होती है। हालांकि, खतरनाक भूमि और उपयुक्त लैंडिंग स्थलों की कमी के कारण माउंट एवरेस्ट पर उड़ान भरना असंभव है।