सीमा की सुरक्षा पर रोज नये प्रयोग न करे केन्द्र सरकार –एस एस बी स्वयं सेवक
अल्मोड़ा -एस एस बी स्वयं सेवक कल्याण समिति के केन्द्रीय अध्यक्ष ब्रह्मानन्द डालाकोटी, जिलाध्यक्ष शिवराज बनौला ने आज यहां जारी बयान में सीमा की सुरक्षा को लेकर नित नये प्रयोग न करने की केन्द्र सरकार से मांग
करते हुए कहा कि 1962में भारत चीन युद्ध के बाद ही सीमा की सुरक्षा की मजबूती के लिए बिशेष सुरक्षा ब्यूरो जैसा महत्वपूर्ण बल बनाया गया जिसके अंतर्गत सीमावर्ती क्षेत्रों के 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी महिला पुरूषों को सम्मिलित कर राईफल चलाने सहित युद्ध का प्रशिक्षण दिया गया ।
यही नहीं इनमें से चयनित युवक युवतियों को छापामार युद्ध का बिशेष प्रशिक्षण दिया गया जिनकी बुनियाद पर आज सशस्त्र सीमा बल जैसा बिशाल अर्धसैनिक बल खड़ा है उसके तहत् प्रशिक्षित लाखों बेरोजगार स्वयं सेवक पिछले 16वर्षो से सेवायोजित किये जाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं जिनकी कोई सुध नहीं ले रहा है यही नहीं सरकार ने बी बी एफ, एस पी ओ जैसे प्रयोग भी सीमा पर किये किंतु किसी को भी कभी पूरी भांति मजबूत नहीं किया।
अजीब बिडंबना है कि 1980से 1985के बीच पंजाब में चल रहे आतंकवाद को देखते हुए एस एस बी स्वयं सेवकों में से अस्थाई सी आर पी एफ ,पी ए सी बनाई गयी कुछ वर्षों में वह भी भंग कर दी गयी । होम गार्ड,पी आर डी भी अस्थाई फोर्स के हमारे सामने उदाहरण है जो जैसे तैसे जीवन यापन के लिए सरकार से जुड़े हैं इसलिए अग्निपथ योजना भी सरकार का बिफल प्रयोग तथा युवाओं से खिलवाड़ साबित न हो। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का अग्निबीरों को चार साल बाद आपदा प्रबंधन सहित अन्य विभागों में नौकरी दिये जाने के आश्वासन पर प्रश्न उठाते हुए कहा कि आपदा प्रबंधन,होम गार्ड ,पी आर डी, स्टेट इकोटास्क फोर्स,कैम्पा ,पी डब्लू डी में रोजगार के झुनझुने गुरिल्लों को सुनाये ही नहीं गये बल्कि कुछ शासनादेश भी जारी किये किन्तु राज्य सरकार अपने ही शासनादेश लागू नहीं कर पायी इसलिए दोनों
पदाधिकारियों ने मांग की कि चार वर्ष की अस्थाई फोर्स के स्थान पर सीमावर्ती क्षेत्रों के स्थानीय नागरिकों को जोड़ते हुए गुरिल्ला युक्त स्थाई रोजगार देने वाली बहुआयामी फोर्स बनाई जाय जिससे सीमावर्ती इलाकों से पलायन भी रूक सके ।