Uttrakhand News:पंचायत चुनाव को लेकर आरक्षण से संबंधित एक अन्य याचिका पर आज हाईकोर्ट में होगी सुनवाई

प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारी शुरू से ही सवालों के घेरे में रही है। सबसे पहले समय पर चुनाव नहीं हुए। जब समय निकल गया शासन ने आरक्षण व्यवस्था से संबंधित नियमावली की अधिसूचना (गजट नोटिफिकेशन) जारी किए बिना आरक्षण लागू कर दिया।
यही वजह है कि चुनाव प्रक्रिया पर हाईकोर्ट से रोक लग गई। हालांकि आरक्षण से संबंधित एक अन्य याचिका पर आज हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है।
उत्तराखंड पंचायत संगठन के संयोजक जगत मार्तोलिया के मुताबिक पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण लागू करने में संविधान की मूल धारणा की अनदेखी हुई है। आरक्षण को लेकर रोस्टर इस तरह से होना चाहिए था कि अंतिम व्यक्ति तक उसका लाभ पहुंचे, लेकिन ऐसा न कर पुराने रोस्टर को खत्म कर नए सिरे से रोस्टर बना दिया गया। उन्होंने बताया कि यह पहला मामला है, जब चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद हाईकोर्ट ने चुनाव पर रोक लगा दी। इससे शासन की मन माफिक आरक्षण लागू करने की मंशा को झटका लगा है।
🌸आरक्षण के लिए अलग-अलग दो तरह की व्यवस्था बना दी गईभाकपा माले के प्रदेश सचिव इंद्रेश मैखुरी बताते हैं कि शासन ने पहले प्रशासनिक अधिकारियों और कर्मचारियों को पंचायतों का प्रशासक बनाने का आदेश किया, लेकिन इसे कुछ समय बाद निरस्त कर निवर्तमान पंचायत प्रतिनिधियों को पंचायतों में प्रशासक बना दिया। ऐसा पहली बार हुआ है, जब निवर्तमान पंचायत प्रतिनिधि ही प्रशासक बना दिए गए हों। हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता मुरारी लाल खंडेवाल बताते हैं कि आरक्षण के चक्रीय क्रम को तोड़ दिया गया है। वहीं, आरक्षण के लिए अलग-अलग दो तरह की व्यवस्था बना दी गई है।
पंचायतों में लागू आरक्षण में विसंगतियां हैं। मैंने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी है। जिस पर आज सुनवाई होनी है। -मुरारी लाल खंडेवाल, याचिकाकर्ता
त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में आरक्षण व्यवस्था से संबंधित नियमावली की अधिसूचना (गजट नोटिफिकेशन) की प्रक्रिया गतिमान है। जिसे शीघ्र जारी कर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा, ताकि स्थिति से अवगत कराते हुए उचित न्यायिक मार्गदर्शन प्राप्त किया जा सके। -चंद्रेश कुमार, सचिव पंचायतीराज
🌸ऐसा हुआ तो नए सिरे से लागू करना पड़ सकता है आरक्षण
देहरादून। प्रदेश की पंचायतों में आरक्षण के लिए अधिसूचना (गजट नोटिफिकेशन) जारी किए बिना आरक्षण लागू किया गया। जानकार कहते हैं कि यदि चुनाव से रोक हट भी गई तो आरक्षण को नए सिरे से लागू करना पड़ सकता है। आरक्षण के मसले पर जिला प्रशासन के पास तीन हजार से अधिक आपत्तियां दर्ज हुई। आरोप है कि इनमें अधिकतर का ठीक से निपटारा नहीं किया गया।